श्रद्धांजलि :: कैलाश झा किंकर
कैलाश झा किंकर गीत, कविता व ग़ज़ल के प्रमुख हस्ताक्षर रहे हैँ. साहित्य की विभिन्न विधाओ में ये निरंतर सृजन कर रहे हैं. पिछले दिनों कोरोना संक्रमण के कारण इनका…
कैलाश झा किंकर गीत, कविता व ग़ज़ल के प्रमुख हस्ताक्षर रहे हैँ. साहित्य की विभिन्न विधाओ में ये निरंतर सृजन कर रहे हैं. पिछले दिनों कोरोना संक्रमण के कारण इनका…
रमेश ‘कँवल’ की ग़ज़लें 1 मुंह पे गमछा बाँधने की ठान ली गाँव ने दो गज़ की दूरी मान ली आपदाओं में भी अवसर खोजना यह कला भी देश…
1 लोगों जरा तुम सुन लो रक्खो बहुत सफाई कोरोना नाम की इक चीनी बीमारी आई इक दिन दवा बनेगी ,इक दिन हम मात देंगे तब तक ये देशवासी छोड़ो…
दोस्तो! साहित्य में नौ रस होते हैं. सोचा भी नहीं था कि कभी दस वांँ भी रस होगा और उसका नाम होगा – वायरस. कविताओं में सबसे ख़तरनाक रस होता…
1 मौला मुझको घर जाना है माई रस्ता देखे है छत, पनियारा, ओसारा, अँगनाई रस्ता देखे है पिछली बार कहा था बेटा इक दिन वीडियो कॉल तो कर शक्ल…
1 यूं अचानक हुक्म आया लाकडाउन हो गया यार से मिल भी न पाया लाकडाउन हो गया बंद पिंजरे में किसी मजबूर पंछी की तरह दिल हमारा फड़फड़ाया लाकडाउन हो…
उदास- उदास सफ़र था उदास रस्ता भी उदास लगता था मुझको ख़ुद अपना साया भी हमारी रात उजालों से कब हुई रौशन बना के चाँद उसे आइना में देखा …
1 सुबह को मां ने कहा था चाय थोड़ी और दे शाम तक चौके में बर्तन झनझनाते रह गए तब जो अपनापन था सूरज में, वो अब है ही…
1 अलग तुमसे नहीं मेरी कथा है तुम्हारी ही व्यथा मेरी व्यथा है ये गूंगे और बहरों का शहर है किसी से कुछ यहां कहना वृथा है हताहत सभ्यताएं हो…
सुधीर कुमार प्रोग्रामर की पांच ग़ज़लें 1 लगाकर आग बस्ती से निकल जाने की आदत है जिन्हें हर बात में झूठी कसम खाने की आदत है चुराकर गैर के आंसू…