श्रद्धांजलि :: कैलाश झा किंकर

कैलाश झा किंकर गीत, कविता व ग़ज़ल के प्रमुख हस्ताक्षर रहे हैँ. साहित्य की विभिन्न विधाओ में ये निरंतर सृजन कर रहे हैं. पिछले दिनों कोरोना संक्रमण के कारण इनका…

विशिष्ट ग़ज़लकार : दिनेश प्रभात

दोस्तो! साहित्य में नौ रस होते हैं. सोचा भी नहीं था कि कभी दस वांँ भी रस होगा और उसका नाम होगा – वायरस. कविताओं में सबसे ख़तरनाक रस होता…

विशिष्ट ग़ज़लकार : डी.एम. मिश्र

1 यूं अचानक हुक्म आया लाकडाउन हो गया यार से  मिल भी न पाया लाकडाउन हो गया बंद पिंजरे में किसी मजबूर पंछी की तरह दिल हमारा फड़फड़ाया लाकडाउन हो…

विशिष्ट ग़ज़लकार : अनिरुद्ध सिन्हा

उदास-  उदास  सफ़र  था  उदास  रस्ता भी उदास लगता था मुझको ख़ुद अपना साया भी   हमारी  रात  उजालों  से  कब  हुई  रौशन बना  के  चाँद  उसे  आइना  में देखा …

विशिष्ट ग़ज़लकार :: घनश्याम

1 अलग तुमसे नहीं मेरी कथा है तुम्हारी ही व्यथा मेरी व्यथा है ये गूंगे और बहरों का शहर है किसी से कुछ यहां कहना वृथा है हताहत सभ्यताएं हो…

विशिष्ट ग़ज़लकार :: सुधीर कुमार प्रोग्रामर

सुधीर कुमार प्रोग्रामर की पांच ग़ज़लें 1 लगाकर आग बस्ती से निकल जाने की आदत है जिन्हें हर बात में झूठी कसम खाने की आदत है चुराकर गैर के आंसू…