विशिष्ट ग़ज़लकार :: स्वदेश भटनागर
1 वक्त ने कैसी तल्खियां दे दी कब्र के नाम चिट्ठियां दे दी ले के लम्हों ने हमसे आवाजें बात करने को चुप्पियां दे दी छुप गये हर्फ जाके लफ्जों…
1 वक्त ने कैसी तल्खियां दे दी कब्र के नाम चिट्ठियां दे दी ले के लम्हों ने हमसे आवाजें बात करने को चुप्पियां दे दी छुप गये हर्फ जाके लफ्जों…
1 निगाहें मेरी जाती हैं जहाँ तक नज़र आता है तू मुझको वहाँ तक महब्बत की अजां देता रहूँगा कोई आये, नहीं आये यहाँ तक कमर तक आ गया आबे-मुहब्बत…
1 इन ग़रीबों के लिए घर कब बनेंगे तोड़ दें शीशे, वो पत्थर कब बनेंगे कब बनेंगे ख़्वाब जो सच हो सकें और चिड़ियों के लिए पर कब बनेंगे बन…
श्रद्धांजलि :: अमन चांदपुरी की गजलें (1) दश्त में प्यासी भटक कर तश्नगी मर जाएगी ये हुआ तो ज़िंदगी की आस भी मर जाएगी रोक सकते हैं तो रोकें मज़हबी…
1 हसीं मंज़र सलामत है ये दुनिया ख़ूबसूरत है नदी में चांद उतरा है क़यामत की अलामत है तुम्हारी झील सी आंखें हमारी प्यास बरकत है इधर है आग का…
1 मिल न पाए जब ज़मीं पर, तो उड़ानों में मिले बन के बादल दोस्त हम कितने ज़मानों में मिले अपनी क्या औक़ात जब बिकने लगेभगवान भी उनके बुत मंदिर…
1 हद से भी बढ़ जाएंगे तो क्या करोगे चांद पर अड़ जाएंगे तो क्या करोगे इस क़दर आवारगी में दिल लगा है हम कभी घर जाएंगे तो क्या करोगे…
1 पांव को आये न देखो आंच बस्ती में हर तरफ बिखरे हुए हैं कांच बस्ती में क्यों मरी उसके कुएँ में डूबकर औरत चल रही सरपंच के घर जांच…
1मेरी छोटी-सी उलझन को सुलझाने में साथी मुझको लेकर आए मयख़ाने में शीशा तोड़ा फिर दिल तोड़ा पर जाने दो ऐसा उनसे हो जाता है अनजाने में मतलब की ये…
1 खुलके हँसना – मुस्कुराना आ गया हमको भी अब ग़म छिपाना आ गया दोस्त भी दुश्मन नज़र आने लगे जाने कैसा ये ज़माना आ गया जब चमन में टूट…