विशिष्ट ग़ज़लकार : कमलेश भट्ट कमल
1 कई गलियाँ कई रस्ते कई मंज़र समेटे है ज़रा-सी याद पूरा गाँव पूरा घर समेटे है. तुम्हें भी हौसले का उसके अन्दाजा नहीं होगा परिन्दा जो अभी बैठा है…
1 कई गलियाँ कई रस्ते कई मंज़र समेटे है ज़रा-सी याद पूरा गाँव पूरा घर समेटे है. तुम्हें भी हौसले का उसके अन्दाजा नहीं होगा परिन्दा जो अभी बैठा है…
(1) चिराग़ दिल का म़ुकाबिल हवा के रखते हैं हर एक हाल में तेवर बला के रखते हैं मिला दिया है पसीना भले ही मिट्टी में हम अपनी आँख का…
हातिम जावेद की ग़ज़लें 1 इक नज़र आपकी हो गई ज़िंदगी ज़िंदगी हो गई आपने लफ़्ज़े-कुन कह दिया सारी कारागरी हो गई आप की दी हुई ज़िंदगी लीजिए आपकी हो…
1 कभी लगती मुझे भीगे नयन की कोर है अम्मा मगर हरदम मेरी उम्मीद का इक छोर है अम्मा बिखरने से बचाती है, सभी को बाँधकर रखती अनूठे प्रेम की,…
1 बनावट की हँसी अधरों पे ज़्यादा कब ठहरती है छुपाओ लाख सच्चाई निगाहों से झलकती है कभी जब हँस के लूटा था तो बिल्कुल बेख़बर था मैं मगर वो…
1 तमाम घर को बयाबां बना के रखता था पता नहीं वो दिये क्यों बुझा के रखता था बुरे दिनों के लिए तुमने गुल्लकें भर लीं मैं दोस्तों की दुआएं…
1 काम जिनके अमीर जैसे हैं देखने में कबीर जैसे हैं रास्ते ये लकीर जैसे हैं और हम सब फ़कीर जैसे हैं एक झोंके की उम्र है अपनी खुशबुओं के…
1 कुछ नायाब ख़ज़ाने रख ले मेरे अफ़साने रख जिन का तू दीवाना हो ऐसे कुछ दीवाने रख आख़िर अपने घर में तो अपने ठौर-ठिकाने रख मुझ से मिलने-जुलने को…
1 सारे जग से निभाया तुम्हारे लिए हर किसी को मनाया तुम्हारे लिए तुमको अपना बनाना था बस इसलिए सबको अपना बनाया तुम्हारे लिए नाज़ से सर उठाकर चला हर…
1 लगते हैं उनको अपने सितम भी सितम कहां होती है ज़ालिमों की कभी आँख नम कहाँ.. हर ग़म समेट लेती थी आँचल मे अपने माँ.. अब सूझता नहीं कि…