ख़ास कलम :: निहाल सिंह
आजाद परिन्दे निहाल सिंह उड़ते रहते हैं आजाद परिन्दे बेखोफ नीले गगन में जहाँ ना कोई सरहद है, ना कोई बंधन है धरा के इंसान के ज्यूॅं पाॅंवो में ना…
आजाद परिन्दे निहाल सिंह उड़ते रहते हैं आजाद परिन्दे बेखोफ नीले गगन में जहाँ ना कोई सरहद है, ना कोई बंधन है धरा के इंसान के ज्यूॅं पाॅंवो में ना…
दीपशिखा की ग़ज़लें 1 कष्ट ये दाल रोटी का जाता नहीं , पेट खाली हो गर कुछ भी भाता नहीं। मीर भी इस ज़माने में रहता अगर , उल्फतों के …
ग़ज़ल क्या अजब लुत्फ़ मुझे सब्र के फल में आए जैसे नुज़हत कोई रुक-रुक के महल में आए हाय वो इश्क़ की नैरंग-ए-तमन्ना मत पूछ मस्त हो-हो के मेरी शोख़…
हर घर तिरंगा फहराया – सविता राज तिरंगा प्यारा हर घर लहराया, आजादी का अमृत महोत्सव आया। भारत की…
देश भक्ति गीत – हेमा सिंह हम रहे न रहे देश मेरा रहे ! यूँ ही आबाद मेरा तिरंगा रहे! जान है, शान है देश मेरे लिए आन है बान…
ग़ज़ल सीमा शर्मा मेरठी 1 ये जुगनू ,चाँद ,सूरज, रौशनी क्या, तुम्हारे बिन हमें देंगे ख़ुशी क्या लड़कपन पर हँसी आने लगी अब, जवाँ होने लगी संजीदगी क्या …
वो औरत… – डॉ. सोनी थके पांव.. मुरझाया चेहरा.. सूखे होंठ.. आंखों में छुपा.. वह दर्द गहरा.. फिर भी मुस्कुराती है.. चल रही है.. बढ रही है l…
सपना मंजुल भावका – नंद कुमार आदित्य सिलसिला आपकी तगाफुलका दर्द पिंजरेमें बन्द बुलबुलका बागवाँ लाख …
फागुनी दोहे – जयप्रकाश मिश्र होली दस्तक दे रही, प्रेम, नेह, अनुराग। क्यों यौवन में भोगती, गोरी तुम बैराग।। जोगीरा सर रर र धूप अटारी…
बरसाणे की बावरी बरसाणे की बावरी,राधा सुंदर नाम। धवल सरीखी दूध जो,मीत मिला घनश्याम।। वनमाली यह सोचते,अलग हुआ जो रंग। हंस मिले ज्यों काग से, नहीं जँचेगा संग।। मैया जसुमति…