खास कलम :: अभय शर्मा

तुम्हें मेरा नाम याद आ जाये मैं तुझसे बात  नहीं  करता इसका  मतलब यह  नहीं  कि तुम्हें याद नही करता.. सोचता हूँ कि अब तक तुम्हें  मेरा पूरा  नाम याद…

खास कलम:: रेखा दूबे

 मां –  रेखा दुबे कितना सुंदर रूप तुम्हारा जैसे गंगा जल की धारा , शान्त , शाश्वत ,रूप बेल सा कर्तव्यनिष्ठा से,परिपूरित था, हम ढूंढ रहे थे,तिनका-तिनका माँ रूप तुम्हारा…

खास कलम :: रिजवान इकरा

अब इन्तज़ार के मौसम उदास करते नहीं, अजीब है कि हमें ग़म उदास करते नहीं। कभी-कभी का ख़फ़ा होना ठीक है लेकिन, किसी के दिल को यूँ पैहम उदास करते…

खास कलम :: विनय

सृजन भ्रम बुझी-बुझी आँखों और ऐंठती अँतड़ियों को जब गटक जाता है भूख का प्रचंड दानव तो हमारी बर्फ हो चुकी संवेदना पिघल-पिघल कर बिखेरने लगती है कागज की सुफेद…