ख़ास कलम : मधुकर वनमाली
शारदे वर देना – मधुकर वनमाली बुद्धि नहीं कोई हर पाए बस यही शारदे वर देना अज्ञान मिटाओ तिमिरों के माँ सरस्वती दुख हर लेना।…
शारदे वर देना – मधुकर वनमाली बुद्धि नहीं कोई हर पाए बस यही शारदे वर देना अज्ञान मिटाओ तिमिरों के माँ सरस्वती दुख हर लेना।…
तुम्हें मेरा नाम याद आ जाये मैं तुझसे बात नहीं करता इसका मतलब यह नहीं कि तुम्हें याद नही करता.. सोचता हूँ कि अब तक तुम्हें मेरा पूरा नाम याद…
तो खुद को किनारा कर लिया दुनियाभर का एकाकीपन हृदय में अपने भर लिया हम बह न सकें…
मां – रेखा दुबे कितना सुंदर रूप तुम्हारा जैसे गंगा जल की धारा , शान्त , शाश्वत ,रूप बेल सा कर्तव्यनिष्ठा से,परिपूरित था, हम ढूंढ रहे थे,तिनका-तिनका माँ रूप तुम्हारा…
माँ – हेमा सिंह मैं रोई तो माँ भी मेरे दर्द से कितना रोई थी ! जीवन दान मुझे देने को, आशीषों के ताग पिरोई थी। मेरे दर्द…
अब इन्तज़ार के मौसम उदास करते नहीं, अजीब है कि हमें ग़म उदास करते नहीं। कभी-कभी का ख़फ़ा होना ठीक है लेकिन, किसी के दिल को यूँ पैहम उदास करते…
सृजन भ्रम बुझी-बुझी आँखों और ऐंठती अँतड़ियों को जब गटक जाता है भूख का प्रचंड दानव तो हमारी बर्फ हो चुकी संवेदना पिघल-पिघल कर बिखेरने लगती है कागज की सुफेद…
तग़य्युर ज़माना जब ख़ामोशी से नये तेवर में ढलता है तो मौसम ख़ुश्क होता है, शजर कपड़े बदलता है कभी तो भीगी शाख़ें आग के गोले उगलतीं हैं कभी तो…
“बीते साल के संदेश” था कठिन समय,वह बीत गया जो आई एक महामारी थी माना वह विपदा भारी थी कुछ रोग दिया, कुछ शोक दिया जीवन ऐसे हीं चलता है…
सूरज जो तिमिर मेरे मन बसता है तेरे आने से जाता है उत्साह मेरे इस जीवन का बस सूरज तुम से आता है। भले बदली का आना जाना इस नील…