खास कलम : मीना खान

नज़्म कान्हा। तुम्हारी याद में हूं बेकरार मैं, करती हूं लम्हा लम्हा फकत इंतज़ार मै।   कहकर गए थे आओगे तुम जल्द लौटकर, आकर करोगे ख़त्म ये तन्हाई का सफ़र।…

ख़ास क़लम :: लता सिन्हा ‘ज्योतिर्मय’

मेरी जागीर ********* मेरी जागीर मेरे इस वतन की हर निशानी है हमारे देश की मैं ही नहीं दुनिया दिवानी है जहाँ मस्जिद अज़ानो से गूँजती हो सुबह रातें वहीं…

खास कलम : ज़हीर अली सिद्दीक़ी

ज़हीर अली सिद्दीक़ी की तीन कविताएं नंगे पांव ‘सड़क’ ख़ासा तप रही रास्ते कांटें भरे नंगे पांव चल पड़े मंज़िल ए उत्साह में सफ़र लम्बा देखकर उलझनें बढ़ती गयीं देखकर…