खास कलम : अफरोज आलम
नज़्म – रेप शेख फ़रमाते हैं डार्विन झूठा था इंसान कब बंदर था? इंसान तो ऐसा कभी भी नहीं था शेख फ़रमाते हैं लटकना, झपटना,कभी मुँह चिढाना ये आदत हमारी…
नज़्म – रेप शेख फ़रमाते हैं डार्विन झूठा था इंसान कब बंदर था? इंसान तो ऐसा कभी भी नहीं था शेख फ़रमाते हैं लटकना, झपटना,कभी मुँह चिढाना ये आदत हमारी…
नज़्म कान्हा। तुम्हारी याद में हूं बेकरार मैं, करती हूं लम्हा लम्हा फकत इंतज़ार मै। कहकर गए थे आओगे तुम जल्द लौटकर, आकर करोगे ख़त्म ये तन्हाई का सफ़र।…
मेरी जागीर ********* मेरी जागीर मेरे इस वतन की हर निशानी है हमारे देश की मैं ही नहीं दुनिया दिवानी है जहाँ मस्जिद अज़ानो से गूँजती हो सुबह रातें वहीं…
थोड़ा सा नाराज हूं तुम मिले फिर आज मुझसे, खुश बहुत मै आज हूं। छोड़कर पर क्यूं गये थे, थोड़ा सा नाराज हूं।। दीवारों के बीच थे बैठे,…
ज़हीर अली सिद्दीक़ी की तीन कविताएं नंगे पांव ‘सड़क’ ख़ासा तप रही रास्ते कांटें भरे नंगे पांव चल पड़े मंज़िल ए उत्साह में सफ़र लम्बा देखकर उलझनें बढ़ती गयीं देखकर…
1 दर्द से, रंज से, तकलीफ़ से हलकान हैं हम, इतनी आबादी में रहते हुए वीरान हैं हम। इन दिनों ख़ौफ़ का बेचैनी का उन्वान हैं हम, एक बे-देखे…
.1 जब चमकने लगा क़िस्मत का सितारा मेरा खुद बखुद बनने लगे लोग सहारा मेरा आप को चाँद सितारों के सलाम आएंगे आप समझें तो किसी रोज़ इशारा मेरा…
1 कह दे कोई मौसम से हम प्रेम की वफ़ा लिखते हैं आता जाता रहे वह यूं हीं मेरी जिंदगी में मोहब्बत की कलम से हम सहीफा लिखते हैं! 2…
1 बहुत बारीकियों से तोलता है खरा सिक्का कभी जब बोलता है नसीहत है के उससे बच के रहिए जो कानों में ज़हर को घोलता है किसी के वश में…
1 ये है मेरा ये है तेरा को किनारा रखना मेरा भारत तो हमारा था हमारा रखना कहा इकबाल ने सारे जहाँ से अच्छा था हमारे देश को वैसा ही…