विशिष्ट कहानीकार :: आलोक कुमार मिश्रा
मुँहनोचनी आलोक कुमार मिश्रा जाने कहाँ से आई थी वो। पूरे दिनों का पेट लिए हुए थी। तन पर नाम मात्र के फटे-पुराने चिथड़े थे। ऐसा लगता था जैसे उसे…
मुँहनोचनी आलोक कुमार मिश्रा जाने कहाँ से आई थी वो। पूरे दिनों का पेट लिए हुए थी। तन पर नाम मात्र के फटे-पुराने चिथड़े थे। ऐसा लगता था जैसे उसे…
मैकाउ – सुशांत सुप्रिय प्रिय शेखर , जब भी तुम बहुत याद आते हो , मैं तुम्हें पत्र लिखने बैठ जाती हूँ । लेकिन पत्र वह सब पूरा नहीं कर सकते जिसके लिए तुम्हारे साथ की ज़रूरत होती है । मैकाउ के रंगों वाले तुम्हारे दस्ताने मिल गए हैं , जिन्हें तुम पिछली बार मेरे यहाँ छोड़ आए थे । इस हफ़्ते एक अतिथि…
बिछुड़न धर्मेंद्र कुमार छोटका बाबा के दरवाजे़ पर गुलबिया तब से थी जब मैं पैदा भी नहीं हुआ था। चौड़ा शरीर, बड़ा-सा मुँह, मुँह में जाब और लंबी पूँछ…
चरित्र मो नसीम अख्तर नौकरी मिलने के कुछ ही दिनों के बाद मेरा तबादला टीकमगढ़ हो गया था। जहाँ हर तरफ क़ुदरती ख़ुबसूरती बिखरी पड़ी थी। मै अचानक शहर की…
मृत्युंजया – प्रतिभा चौहान पहली मुलाकात के चंद महीनों बाद …एक जाड़े की अंधेरी रात; वैभवी बड़े बड़े कदमों से भागी थी, डर…
मोहम्मद हरि भटनागर इस काॅलोनी में मैं एकदम नया था। अपरिचित। किसी से जान-पहचान न थी। इसके पहले मैं जहां रहता था, वह जगह जुमेराती नाम से जानी जाती थी…
प्लेकार्ड -डॉ. गीता शर्मा “हैलो।” “हैलो! कौन बोल रहा है?” “जी, मैं सारंग।” “सारंग! कौन सारंग?” “जी, मुझे राजीव जी से बात करनी है।” “ओह! वह…
इंटरनेट वाला प्यार सुभाषिनी कुमार कई बार ऐसा होता है कि हमारी खुशी हमारे आस पास ही होती है लेकिन वो हमें दिखती नहीं। मैं बा शहर के एक छोटे…
अनसुलझी व्यथा रूबी भूषण नारी को हमेशा मजबूत पक्ष के रूप में दर्शाया जाता रहा है या फिर बिल्कुल दबी-कुचली दुःख से पीड़ित समाज द्वारा प्रताड़ित। साथ ही उन्हें कई…
भँवर डॉ पूनम सिंह ‘‘मेल चाइल्ड —- नो, इट्स फिमेल।’’ सास ने जानना चाहा था तो फेमिली डॉक्टर भारती भारद्वाज ने बहुत ही सहजता से कह दिया था। साथ ही…