खास कलम : पूनम गुजरानी

बातों में बात

बातों में उनकी बात करे रातों में उनके  साथ जरे

माटी के नन्हे दीपक से उजियारे की सौगात वरे
गूंथे कविता की चोटी में
   आशा की सोनल किरणों को
       तपते सहरा में रख आएं
         शीतल जल वाले झरनों को
मुरझाए फूलों को चुनकर उनमें भी हम मुस्कान धरें
माटी के नन्हे दीपक से  उजियारे   की  सौगात वरे
खुशियों की खुशबू से महके
  धरा से अम्बर तक परिवेश
    संस्कारों की दीपमालिका
       जगमगा देती है अखिलेश
गूंजन कर आल्हाद अनोखा एक मधुरिम सा प्रात करें
माटी के नन्हे दीपक से उजियारे  की  सौगात वरे
अपनों का प्यार मिले अविचल
   वैभव की कारा दूर रहे
    मावस की उजली रात अरे
       उर के भीतर  तक जमी रहे
कलियाँ महके कोयल चहके गुलशन में सुन्दर ख्वाब धरे
माटी के नन्हे दीपक से  उजियारे  की  सौगात वरे
– डाॅ. पूनम गुजरानी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *