हाज़िर और ज़ाहिर गज़लें :: मधु सक्सेना
हाज़िर और ज़ाहिर गज़लें : मधु सक्सेना इस दुनिया में सबकी अपनी अपनी नज़र होती है और अपना अपना नज़रिया ..कोई देख के चुपचाप आगे बढ़ जाता है ,कोई कुछ…
हाज़िर और ज़ाहिर गज़लें : मधु सक्सेना इस दुनिया में सबकी अपनी अपनी नज़र होती है और अपना अपना नज़रिया ..कोई देख के चुपचाप आगे बढ़ जाता है ,कोई कुछ…
शरीर का अंत मृत्यु नहीं होती बड़े अरमानों को लेकर घरों को छोड़ आयें सीखने मौत को यमराज से छीन लेने की कलाएँ धरती का भगवान सुनती रही हूँ…
दिनेश तपन की ग़ज़लें 1 धन दौलत संजोते रह गए पाप उमर भर ढोते रह गए थी ख़ुशियों की जिन्हें तमन्ना वे ही सब दिन रोते रह गए …
छंदबद्ध रचनाओं का दस्तावेज आये हैं तो काटेंगे …
विद्यापति के गीतों की काव्यगत विशेषताएँ – डॉ. शान्ति कुमारी विद्यापति हिंदी के…
खौफ़ हम दोनों के दरमियाँ अमित कुमार चौबे एक बनाया गया रिश्ता। इससे पहले कभी एक दूसरे को देखा भी नहीं था।अब सारी जिंदगी एक दूसरे के साथ रहना है।…
पेड़ से हुई वार्तालाप! आज सुबह गंडक नदी के किनारे नदी के तीरे-तीरे यों मैं प्रात भ्रमण पर निकला था इसी बीच मेरी मुलाकात एक पेड़ से हो गई चलते…
नरेश अग्रवाल की दस कवितायें सहारा मां, पिता को एक ताबीज पहना दो अपने हाथों से इससे उनकी आयु सुरक्षित रहेगी जब भी भय सताएगा कोयले की खान में…
निवेदिता झा की तीन कवितायें जब तुम याद आये जब हुई बारिश बहनें लगा शहर के पोर पोर से धूल भरनें लगी नदियाँ सोधीं खुश्बू से भरा मन जब…
रमेश कँवल की छह ग़ज़लें 1 बदला बदला सा है मेरा दफ़्तर रूप सज्जा में है नया दफ़्तर बायोमेट्रिक से लोग आते हैं सीसीटीवी लगा हुआ दफ़्तर लैपटॉपों…