विशिष्ट कवि :: सुजीत वर्मा
परछाई अंत तो प्रारंभ में है। सहज कर्म यात्रा, द्वंद्व मुक्त नहीं होती। बीज से- फल-फूल। आसमान में छत नहीं, पेड़ के लिए सूरज होता है। पृथ्वी अनंत काल से-…
परछाई अंत तो प्रारंभ में है। सहज कर्म यात्रा, द्वंद्व मुक्त नहीं होती। बीज से- फल-फूल। आसमान में छत नहीं, पेड़ के लिए सूरज होता है। पृथ्वी अनंत काल से-…
हजारों अनाथ बच्चों की मां सिंधु ताई हेमलता म्हस्के अपने ही दुख दर्द में खुद को डुबोए रखोगे तो बहुत कोशिश के बाद भी तुम्हारी जिंदगी नहीं बचेगी और अगर…
तपस्या संगीता चौरसिया, खगड़िया रविन्द्र पांच भाई बहनों में तीसरे नंबर पर था। उससे छोटी दो बहनें थीं जिसमें से एक की शादी उससे पहले हो गई थी। उपर के…
1 सूरज तो उगता है लेकिन, घर में नहीं उजाले हैं। उन लोगों के नहीं फिरे दिन, रहे लगाते जो नारे। चूल्हा बुझा-बुझा है गुमसुम, पेट जल रहे अंगारे।…
सृजन भ्रम बुझी-बुझी आँखों और ऐंठती अँतड़ियों को जब गटक जाता है भूख का प्रचंड दानव तो हमारी बर्फ हो चुकी संवेदना पिघल-पिघल कर बिखेरने लगती है कागज की सुफेद…
खराबियां भी कविताओं में आ जातीं हैं खराबियां भी कविताओं में आ जातीं हैं ताकि सनद रहे खराब लोगों की चालाकियां इस तरह आतीं हैं कविताओं में जैसे कोई राक्षसी…
साहित्यिक छल-छद्म से हमेशा अलग रहे रेणु डॉ.रामवचन राय रेणु जी नहीं रहे, मन यह मानने को तैयार नहीं होता। जो लोग उन्हें जानते हैं, उनके नहीं रहने की सच्चाई…
अपनी राह स्वयं बनाता : रथ के धूल भरे पाँव नीरज नीर प्रांजल भाषा और शब्दज्ञान के धनी अजित राय की कविताओं से गुजरते हुए यह निःसंदेह ज्ञात होता है…
पिघलता हिमालय और सूखता भारत मधुकर वनमाली भारतवर्ष भागीरथ का देश है। हिमालय और गंगा का भी। जल से पूरित भूमि। नदियों को यहां माता का दर्जा दिया गया है।…
पानी पर पाँव विनीता परमार उसे बचपन से ही पानी से लगाव था। घंटों खड़े होकर पानी का बहना देख सकती थी। नदी के किनारे बैठ जाती फिर किसी से…