विशिष्ट ग़ज़लकार :: अमर पंकज
अमर पंकज की पांच ग़ज़लें 1 मुश्किल था पूरा सच लिखना तो आधा हर बार लिखा, ज़हर पिया मैंने नित लेकिन सुंदर है संसार लिखा। शीश उठाकर जी ले निर्बल…
अमर पंकज की पांच ग़ज़लें 1 मुश्किल था पूरा सच लिखना तो आधा हर बार लिखा, ज़हर पिया मैंने नित लेकिन सुंदर है संसार लिखा। शीश उठाकर जी ले निर्बल…
राहुल शिवाय के पांच गीत मन के पाँव आँगन तक बढ़कर कोहवर को लौट गये मेरे मन के पाँव बड़े नखरीले हैं धीरे-धीरे फगुनाहट चढ़ आएगी मन की कोयलिया भी…
राजेंद्र ओझा की चार कविताएं लाचार हर बार जब वह उड़ने को होता और सोचता कि चलो कुछ दाने चुग आए उसके सामने दाने फेंक दिए जाते। उसे यह अच्छा…
श्रीरंग शाही ने बज्जिका और हिंदी साहित्य को दी समृद्धि डॉ इंदिरा कुमारी स्व० (डॉ०) श्रीरंग शाही जी का जन्म 7 फरवरी 1934 को मुजफ्फरपुर जिले के औराई अंचल अन्तर्गत…
डॉ. श्रीरंग शाही : एक गत्वर रचना पुरुष डाॅ महेन्द्र मधुकर, एमेरिटस प्रोफेसर यूजीसी भारतीय चिंतन में स्मरण को नवधा भक्ति के अंदर गिना गया है। स्मृति और स्मरण में…
डॉ. श्रीरंग शाही का आलोचना-कर्म अविनाश भारती 7 फरवरी सन् 1934 को मुजफ्फरपुर जिले के औराई अंचल अन्तर्गत शाही मीनापुर गाँव में जन्मे स्व० (डॉ०) श्रीरंग शाही जी भले ही…
बज्जिका के दैदीप्यमान रत्न श्रीरंग अमिताभ शाही कुछ लोग होते हैं जो अपनी यात्रा अटलता तथा वचनबद्धता के साथ शुरू करते हैं और अपने मानस में दीर्घकालीन दृढ़ता अक्षुण्ण रखते…
एक यायावर की स्मृति में डाॅ. राजेश कुमार सिंह, अतीत की सुनहरी समृतियों का मस्तिष्क में घूमड़ते रहना वैसे तो सामान्य,स्वाभाविक मनोप्रक्रिया है,किन्तु यदि हमारी दृष्टि अतीत के किसी अलिखित-अमिट…
श्रीरंग शाही की दृष्टि में गिरिजा कुमार माथुर -डॉ. ज़ियाउर रहमान जाफ़री गिरिजा कुमार माथुर तार सप्तक के कवि थे. देश की आजादी के बाद जिस नई कविता ने अपना…