विशिष्ट ग़ज़लकार : डी.एम. मिश्र
1 यूं अचानक हुक्म आया लाकडाउन हो गया यार से मिल भी न पाया लाकडाउन हो गया बंद पिंजरे में किसी मजबूर पंछी की तरह दिल हमारा फड़फड़ाया लाकडाउन हो…
1 यूं अचानक हुक्म आया लाकडाउन हो गया यार से मिल भी न पाया लाकडाउन हो गया बंद पिंजरे में किसी मजबूर पंछी की तरह दिल हमारा फड़फड़ाया लाकडाउन हो…
उदास- उदास सफ़र था उदास रस्ता भी उदास लगता था मुझको ख़ुद अपना साया भी हमारी रात उजालों से कब हुई रौशन बना के चाँद उसे आइना में देखा …
आग की छाती पर पैर रखकर – शहंशाह आलम रंजीता सिंह ‘फ़लक’ की कविताओं का संग्रह ‘प्रेम में पड़े रहना’ ऐसे वक़्त में छपकर आया है, जब दुनिया भर में…
चलिए अब…. – सिनीवाली शर्मा परमानंद बाबू की पत्नी के देहांत होने के कुछ दिनों के बाद सभी इसी बात पर चर्चा कर रहे हैं कि इनके आगे के दिनों…
.1 जब चमकने लगा क़िस्मत का सितारा मेरा खुद बखुद बनने लगे लोग सहारा मेरा आप को चाँद सितारों के सलाम आएंगे आप समझें तो किसी रोज़ इशारा मेरा…
रामधारी सिंह दिनकर का साहित्य और उनकी जीवन चेतना – राजीव कुमार झा रामधारी सिंह दिनकर आधुनिक काल के भारतीय लेखकों में अग्रगण्य हैं. उन्होंने अपने काव्य लेखन और गद्य…
1 सुबह को मां ने कहा था चाय थोड़ी और दे शाम तक चौके में बर्तन झनझनाते रह गए तब जो अपनापन था सूरज में, वो अब है ही…
(1) पतझर पर कोंपल संदेश लिख रहे माघ-अधर जीवन उपदेश लिख रहे डाल-डाल तरुवों पर सरगम के मधुर बोल आशा के पंथ नये मौसम ने दिये खोल समय फिर पटल…
मन की स्लेट औरतों के दुःख बड़े अशुभ होते हैं और उनका रोना बड़ा ही अपशकुन दादी शाम को घर के आंगन में लगी मजलिस में , बैठी …
दलित चेतना के अग्रदूत डॉ० अम्बेदकर पूनम सिंह बाबा साहब अम्बेदकर अस्पृश्य मानी जाने वाली महार जाति में पैदा हुए थे । निम्न जाति में पैदा होने की मर्माहत पीड़ा…