विशिष्ट गीतकार :: डॉ संजय पंकज
दो गीत : संदर्भ पर्यावरण 1. कंकरीट के जंगल में चली उजाले की आँधी हरियाली को लील गई! खिड़की से उतरा चंदा लोहे पर अटक गया है कंकरीट के जंगल…
दो गीत : संदर्भ पर्यावरण 1. कंकरीट के जंगल में चली उजाले की आँधी हरियाली को लील गई! खिड़की से उतरा चंदा लोहे पर अटक गया है कंकरीट के जंगल…
यथार्थ के प्रकाशित धरातल पर हिन्दी ग़ज़ल – अनिरुद्ध सिन्हा वर्तमान समय में सच और झूठ ,न्याय और अन्याय,धर्म और अधर्म के सारे फासले मिट गए हैं । सच की…
1 कह दे कोई मौसम से हम प्रेम की वफ़ा लिखते हैं आता जाता रहे वह यूं हीं मेरी जिंदगी में मोहब्बत की कलम से हम सहीफा लिखते हैं! 2…
भावों की सशक्त अभिव्यक्ति, भाषा का सरल प्रवाह : डॉ. सीमा शर्मा ‘खिड़कियों से झाँकती आँखें’ सुधा ओम ढींगरा का सातवाँ कहानी संग्रह है। इन सभी कहानी संग्रहों को पढ़ने…
1 अलग तुमसे नहीं मेरी कथा है तुम्हारी ही व्यथा मेरी व्यथा है ये गूंगे और बहरों का शहर है किसी से कुछ यहां कहना वृथा है हताहत सभ्यताएं हो…
वसंत और चैत वसंत जाते हुए ठिठक रहा है कुछ चिन्तमना धरती के ख्याल में डूबा मुस्काया था वो फागुन के अरघान में जब गुलों ने तिलक लगाया था अब…
घड़ीसाज – मनीष वैद्य कौन सा … कौन सा समय होता है घडीसाज़ का. उसने चश्मे के अंदर अपनी कंजी और मिरमिरी सी आँखों से घूरते हुए दार्शनिक अंदाज़ में…
(1) क्या रक्खा अब यार गाँव में! नहीं रहा जब प्यार गाँव में! बड़कन के दरवाजे पर है खूँटा गड़ा बुझावन का! फोड़ दिया सर कल्लू ने कल अब्दुल और…
वो लड़की संजीव जैन यह वैसी लड़की नहीं है, जैसी आमतौर पर जीवन की सतह पर अतराती दिखाई जाती हैं। वो लड़की एक साधारण किस्म की बहुत साधारण लड़की है।…
नारी चेतना के दोहे : हरेराम समीप हर औरत की ज़िंदगी, एक बड़ा कोलाज इसमें सब मिल जाएँगे, मैं, तुम, देश, समाज नारी तेरे त्याग को, कब जानेगा विश्व थोड़ा…