लघुकथा :: ज्वाला सांध्यपुष्प
मां का आशीर्वाद – ज्वाला सांध्यपुष्प आज शहर के युवा चिकित्सक अमितशंकर के प्रथम पुत्र की छट्ठी की रस्म थी और वे खुद अनुपस्थित थे।शहर के सभी गणमान्य व्यक्ति पधारे…
मां का आशीर्वाद – ज्वाला सांध्यपुष्प आज शहर के युवा चिकित्सक अमितशंकर के प्रथम पुत्र की छट्ठी की रस्म थी और वे खुद अनुपस्थित थे।शहर के सभी गणमान्य व्यक्ति पधारे…
1 वक्त ने कैसी तल्खियां दे दी कब्र के नाम चिट्ठियां दे दी ले के लम्हों ने हमसे आवाजें बात करने को चुप्पियां दे दी छुप गये हर्फ जाके लफ्जों…
देवी धरती की दूब देख लगता यह सच्ची कामगार धरती की मेड़ों को साध रही है खेतों को बाँध रही है कटी-फटी भू को अपनी- ही जड़ से नाथ रही…
बाघ की गुर्राहट सुन पेड़ पर कटी रात! – बिभेष त्रिवेदी, वरीय पत्रकार यह बनौली फारेस्ट गेस्टहाऊस है। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के बड़े परिसर में बेतिया राज का गेस्टहाऊस। यहां…
रोटी की बात मत करो रोटी की बात मत करो रोटी पर सवाल मत करो बात करनी हो तो करो सिर्फ मेरी मेरे आगे रोटी क्या है मात्र गूंधे हुए…
(बाबा की सजल स्मृति को समर्पित) एकमुश्त बहुवचन है तुम्हारी कविता फक्कड़ अक्खड़ और घुमक्कड़ तीन विशेषणों से परिभाषित तुम्हारा नाम अपनी बहुपरती संरचना में पूरी एक कविता है जब…
मुंगेर के युवा ग़ज़लकार विकास की गजल संग्रह “उछालो यूँ नहीं पत्थर” से गुजरते हुए – कुमार कृष्णन आधुनिक हिन्दी गजल अपने मौलिक चिंतन तथा विशिष्ट कथ्य-प्रतिभा के बल पर…
1 आदमी थे हम छोडकर घर-गाँव, देहरी–द्वार सब आ बसे हैं शहर मे इस तरह हम भी प्रगति की दौड़ को तत्पर हुए. चंद डिब्बों मे ‘गिरस्ती’ एक घर…
खुद कलामी मेरे रूखसार पे जो हल्की हल्की झुर्रियां आ गई हैं यकिनन उस को भी आ गई होंगी जिंंदगी के सफ़र मे उमर के जिस ढलान पर मैं खडा…
बलात्कार एक सामाजिक अपराध बनाम बीमार समय और समाज हम जिस समय और समाज में रह रहे हैं वह अपने सामूदायिक दायित्वों की पूर्ति की दृष्टि से बीमार है…