डॉ श्रीरंग शाही : मेरी दृष्टि में :: रामचन्द्र विद्रोही
डॉ श्रीरंग शाही : मेरी दृष्टि में रामचन्द्र विद्रोही श्री शाही से मेरा सर्वप्रथम परिचय वर्ष 1983 में समाहरणालय, मुजफ्फरपुर के प्रांगण में हुआ था। वे मेरे अनन्य मित्र सहयोगी…
डॉ श्रीरंग शाही : मेरी दृष्टि में रामचन्द्र विद्रोही श्री शाही से मेरा सर्वप्रथम परिचय वर्ष 1983 में समाहरणालय, मुजफ्फरपुर के प्रांगण में हुआ था। वे मेरे अनन्य मित्र सहयोगी…
स्मृति के वातायन से प्रेरणा की लौ बुझ गई डॉ. वीरेन्द्र कुमार वसु प्रोफेसर श्री रंग शाही के असामयिक अकस्मात् निधन से हिन्दी साहित्य जगत् मर्माहत हो गया है। हिन्दी…
डॉ़. शाही : साहित्य के गाँधी – बलराम भूषण श्रीरंग शाही अब हमारे बीच नहीं हैं। यह जानकर हृदय में जो वेदना उठ रही है, उसका वर्णन इन पंक्तियों से…
डॉ. शाही एक निर्भीक व्यक्तित्व – डॉ. शान्ति कुमारी ” जो नर आत्मदान से अपना जीवन घर भरता है , वही मृत्यु के मुख में भी पड़कर न कभी मरता…
क्यों डूब गया सूरज – चन्द्रशेखर’ विकल’ क्यों डूब गया सूरज पसरा अगम अंधेरा शीतल सुवास देकर जाता रहा चितेरा जबतक रहा धरा पर जन मन का प्राण जीवन। हुलस…
डॉ. श्रीरंग शाही की स्मृति में एक तारा और टूटा – रघुनाथ प्रसाद ‘विकल’ एक तारा और टूटा फिर। अनमने आकाश का संदर्भ भूला मन। भावना में रूग्ण पंकिल सीप-से…
अविभाजित भारत का पहला कृषि अनुसंधानशाला पूसा – वीरेन नंदा बिहार के मुजफ्फरपुर से तीस किलोमीटर दूर पूसा में किलानुमा हवेली हुआ करता था। पूसा अब समस्तीपुर जिला के अंतर्गत…
गेहूं रहा न गुलाब 23 दिसंबर 2024 को बेनीपुर से लौटकर – बिभेष त्रिवेदी इस बार हम लौटने के समय बेनीपुर पहुंचे। मुजफ्फरपुर -सीतामढ़ी रोड में जनाढ़ चौक से पूरब…
ब्रज श्रीवास्तव की तीन कविताएं 1 कुछ बिंब ठंड की सुबह के शीतसुबह क कमरे में जलते बल्ब से ज्यादा नहीं प्रतीत हो रहा घर के बाहर उगा सूर्य ख…
दोहे दूषित जल से हो रहा, मानव जीवन त्रस्त। हर प्राणी अब हो गया, रोग, व्याधि से ग्रस्त।। नारे, भाषण से नहीं, होगा विकसित देश। साथ कर्म भी चाहिए, बदलेगा…