विशिष्ट गीतकार : किशन सरोज

1 धर गये मेंहदी रचे दो हाथ जल में दीप जन्म जन्मों ताल सा हिलता रहा मन बांचते हम रह गये अन्तर्कथा स्वर्णकेशा गीतवधुओं की व्यथा ले गया चुनकर कमल…

पुस्तक समीक्षा : परवाज-ए-ग़ज़ल

गहन संवेदना का प्रखर दस्तावेज परवाज-ए-ग़ज़ल गजल जब अपने परंपरागत ढांचे को तोड़ते हुए  रूहानियत और रूमानियत के सिंहासन से उतरकर किसी झोपड़ी के चौखट की पीड़ा के प्रति जवाबदेह…

विशिष्ट गजलकार : ओमप्रकाश यती

1 कभी लगती मुझे भीगे नयन की कोर है अम्मा मगर हरदम मेरी उम्मीद का इक छोर है अम्मा बिखरने से बचाती है, सभी को बाँधकर रखती अनूठे प्रेम की,…

विशिष्ट कवयित्री : मंजूषा मन

1 सहारा तुमने कहा – “तुम लता बन जाओ मैं हूँ न सहारा देने को, मेरे सहारे तुम बढ़ना ऊपर छूना आसमान… खो गई में तुम्हारी घनाई में तुम्हारे घने…

खास कलम : लकी निमेष

1 अगर जो गाँव को छोडूँ तो बस्ती रूठ जाती है अगर मैं शहर ना जाऊँ तरक्की रूठ जाती है मुहब्बत में शिकायत का अलग अपना मज़ा देखा मुझे जब…

ग़ज़ल की भाषा, ख़याल और कहन के सन्दर्भ में : के. पी. अनमोल

ग़ज़ल की भाषा, ख़याल और कहन के सन्दर्भ में ग़ज़ल एक ऐसी विधा है, जो सदियों से कही/लिखी जा रही है। अरबी, फारसी, उर्दू से होते हुए हिन्दी और विश्व…

पत्रिका के एक वर्ष पूरे होने पर बधाई के शब्द

धीमी-धीमी आंच में पका साहित्य देश में बहुत कम पत्रिकाएं होती हैं जो अपने नाम को सार्थक करती हैं. सौभाग्य से यह श्रेय जिस पत्रिका को हासिल है, वह है…

पुस्तक समीक्षा : अनिरुद्ध सिन्हा

मानवीय संवेदना के रस से युक्त”अभी तुम इश्क़ में हो” छंदमुक्त कविता के जिस दौर में लोग मांग के अनुसार कविता लिख रहे हों, उस दौर में अगर कोई अपने…