विशिष्ट कवयित्री : डॉ भावना

यह जरूरी नहीं जानना

यह जरूरी नहीं जानना
कि मोर की तड़प को महसूस
उमड़ता है बादल
या बादल को उमड़ते देख
नाचता है मोर

यह जरूरी नहीं जानना
कि सूरजमुखी के प्रेम की खातिर
फिर-फिर निकलता है सूरज
या सूरज के प्रेम की खातिर
खिलने को अकुला जाता है सूरजमुखी

यह जरूरी नहीं जानना
कि पूनम के चांद को देख
समुन्दर की लहरें
हो जाती हैं बेकाबू
या लहरों के आवेग को देख
चांद उसे अपलक निहारता है

जरूरी है जानना
कि कैसे पेट के भूगोल में उलझ
हमने बेच दी हैं संवेदनाएं
खो दिया है वह प्रेम
जो कभी मिट्टी के घर में
महमहाया करता था
आंगन के चारों ओर

रोटी में मिठास

पहली बार
मानव जब जन्मा होगा पृथ्वी पर
मुझे नहीं मालूम
कि पहले उसने प्रेम को महसूस किया होगा
या भूख को
प्रेम का होना जीवन में /महत्वपूर्ण है या नहीं
मुझे नहीं पता
पर,मुझे पता है
कि प्रेम न हो जीवन में
तो सारी दौलत बेमानी हो जाती है
करोड़ों की लागत से बनी बहुमंजिली इमारत भी
नहीं कर पाती तृप्त
सीमेंट और ईंटों के गठजोड़ में
नहीं होता संवेदना के लिए स्पेस

जीवन का मतलब
सिर्फ भूख से रोटी का मिलना-भर नहीं होता
रूह से रूह का मिलना भी है
जिसके मिलने भर से
आ जाती है रोटी में मिठास

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