हर पल की सांसें
- डॉ सुजीत वर्मा
हर पल की सांसें
मां से।
रोज़ की सुबह
मां से।
जिह्वा एवं कंठ में स्वाद
मां के हाथों निवाले से।
आंखों में
इन्द्रधनुष के रंग
पंछियों की उड़ान
और नदियों में पानी
सभी कुछ मां से।
हमारे संसार के
कण कण में,
हर पल में
और कुछ नहीं-
सिर्फ मां ही है।
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