विशिष्ट कवि : विमल चंद्राकर

हम_तुम को समर्पित
तुम भाग्य बदलने आयी हो
न जाने तुम कौन देश से
पावन प्रकाश संग लायी हो
महक उठा है जीवन मेरा
सद्मित्रता की सौगात लायी हो।
महक उठा है अन्तस मेरा
*तुम भाग्य बदलने आयी हो।*
लिये हाथों में शुभम कलश
तुम जीवन पथ महकाने आयी हो
लिये हाथों में शुभम कलश
तुम स्वर्णिम भाग्योदय संग लायी हो
निश्चय ही होंगे
कुछ मेरे भी अर्जित कर्म
*तुम भाग्य बदलने आयी हो।*
जाने कौन देश से आयी हो
लिये हाथों में शुभम कलश
तुम जीवन पथ महकाने आयी हो।
मेरी शेष जिजीविषाओं को
तुम पूरित करने आयी हो
हैं अदम्य विश्वास …अब खुद से ज्यादा
तुम भाग्य बदलने आयी हो
जो रहे अघोषित अधूरे आधे से
तुम हम तुम का मिलान बन आयी हो
तुम भाग्य बदलने आयी हो
गुणता की मूरत बन आयी हो
जाने कौन देश से आयी हो
तुम भाग्य बदलने आयी हो।।

 

!! तुम रखना विश्वास !!
कल उगा था दिन
ठीक तुम्हारी हथेली के बीच
और कल की बीती रात
अतीत लाया स्वर्णिम सौगात
हर पग पर तुम रखना विश्वास
माना देह से हम एक नहीं
हम रहेगें विचारों से साथ
हर पग पर तुम रखना विश्वास
तुम चाहते रहे
हर बार मेरा सर्वस्व समर्पण
तुम निहारते रहे
प्रेम का निर्मल दर्पण
चाहकर भी/
मैं ही न बिछ सकी बनकर पुष्प
प्रेम पथ पर तुम्हारे
सात्विक प्रेम से न हो सके विलग हम
न हो सकी मुक्त तुम
प्रेम कभी पगा था परस्पर हमारे
बीती विभावरी के साथ ही
हो गया काबिज अधूरापन
शेष हैं तो बस अधूरे “हम_तुम”
एक प्रस्तर खंड आ गिरा है चर्या में
बाधित पथ है सराबोर घुप्प तम में
अंधेरा दूर तक सन्नाटा छोड़ जायेगा
जो चला था मीलों तक हमसफर
क्या पता था यूँ तन्हा छोड़ जायेगा।
हथेली पर लिखा नाम बस याद बन जायेगा
मेरी देह के भूखंड को चौंकाता भूकंप
मेरी देह तोड़ जायेगा
छिटक कर अलग आज खड़ी हो तुम
और उतने ही बेबस औ विवश हम
उस स्वर्णिम भविष्य की तलाश में
तुम रखना विश्वास
यदि हम विमल हृदय तुम पावन ज्योति प्रिये…..
मिलेंगे किसी और जनम
हो जितनी अधूरी तुम
उतने ही अधूरे हम।।

 

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