क्यों डूब गया सूरज :: चन्द्रशेखर ‘विकल’

AANCH

क्यों डूब गया सूरज
– चन्द्रशेखर’ विकल’

क्यों डूब गया सूरज
पसरा अगम अंधेरा
शीतल सुवास देकर
जाता रहा चितेरा

जबतक रहा धरा पर
जन मन का प्राण जीवन।
हुलस रही भाषायें
सहयोग पा सुपावन।

बज्जिका निहाल, सस्मित
मधुमय समीर सावन ।
गुंजित मिलिन्द रसमय
कोकिल कपोल कानन।

पुष्पक विमान लाया
मनहूस क्षण लुटेरा
शीतल सुवास देकर
जाता रहा चितेरा
जड़ता अप्रेम जग की
आये थे दूर करने।
समता सुधा से प्लावित
मन प्राण घर को करने।

असहाय दीनता सा
बहुशोक कष्ट हरने
विह्नल बिहारियों में
रग रग सुरंग भरने
हे दिव्य देहधारी
साकेत का बसेरा।
शीतल सुवास देकर
जाता रहा चितेरा

प्रणम्य देवता को
पुष्पांजलि निवेदित
वह धन्य है मीनापुर
तन मन जहाँ उद्वेलित
आराध्य रंग शाही से
सब के सब थे प्रेरित
कतिपय विधा के माध्यम
होता हुआ सुपोषित
हे बज्जिका के मानक
फिर आ लगाओ फेरा।
शीतल सुवास देकर
जाता रहा चितेरा।

राम जानकी शोपिंग सेन्टर
ब्रह्म स्थान, मेन रोड, शिवहर

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