हमारा राष्ट्रीय ध्वज
– डॉ सुमन मेहरोत्रा
कल स्कूल में झंडा फहराया जायेगा. सभी बच्चों को एक झंडा और फूल लेकर जाना था. बारह बर्षीय तरुण के पापा उसके लिए झंडा और फूल ले आये. तरुण ने मां से पूछा,”मां यह झंडा किसने बनाया”. उसकी मां सुगृहिणी थी, लेकिन पढ़ी लिखी विदुषी महिला. उनको अपने बेटे की जिज्ञासा जान कर बहुत गर्व हुआ. बोली, ”पहले तुम खाना खा लो फिर मैं तुम्हें इसकी कहानी सुनाती हूं”.
हमारे राष्ट्र ध्वज के निर्माता पिंगली वेंकैया थे.वे एक इनसाइक्लोपीडिया थे. यायावर, जिज्ञासु और विज्ञानी थे. 1921में विजयवाड़ा में कांग्रेस अधिवेशन में महात्मा गांधी ने राष्ट्र ध्वज के लिए पिंगली वेंकैया से आग्रह किया और उन्होंने मात्र तीन घंटे में अपने चित्रकार दोस्त की सहायता से भारत के राष्ट्र ध्वज का डिजाइन तैयार कर दिया.
तरुण बहुत ध्यान से मां की बात सुन रहा था. उसने आश्चर्य से पूछा, ”यही झंडा”. मां ने कहा 31मार्च 1921 को पहले जो डिजाइन बना, उसमें लाल और हरे रंग की दो पट्टी थी. चित्रकार के मन में हरा रंग समृद्धि का प्रतीक और लाल रंग आजादी की लड़ाई का प्रतीक चित्रित किया गया. बाद में आंध्रपदेश के एक युवा ने राष्ट्र प्रेम की भावना और देश को विश्व में अपनी विशिष्ट पहचान देने के लिए इस झंडे का प्रारूप दिया. तरुण इतना सुनते ही खुशी से झूम उठा और बोला, ”मैं भी आज स्कूल में सबको यही कहानी सुनाऊंगा”. मां ने कहा, ”हां बेटा इतना और बोलना कि इसमें रंगों का चयन भले भावनाओ से प्रेरित है, लेकिन इसके पीछे विज्ञान भी है और आकार के पीछे वैज्ञानिक दृष्टिकोण है. विश्व के अधिकांश झंडे इसी आकार के होते हैं जिससे हवा में झंडे ज्यादा अच्छे ढंग से फहरा सकूं”.
तरुण को अब नींद आ गयी.और वह सुनहरा सपना देखता हुआ सो गया .