विशिष्ट गीतकार : अंकिता कुलश्रेष्ठ

मुक्तक

1
अाधार छंद:गीतिका छंद

प्रीति की ही रीति का शुभ धाम है राधा-किशन
प्रेम में लिपटी सुबह औ’र शाम है राधा-किशन

दूर रहकर भी सदा जलता रहा जिसका दीया
उस विमल मन भावना का नाम है राधा- किशन।।

2
आधार छंद: विधाता छंद

सुहानी सज रही धरती कि बगिया खिलखिलाती है
गगन पुलकित जगत सुरभित पवन खुशबू उड़ाती है

दिशाएं हो रहीं हर्षित मधुर वो मास है आया
वसंती रंग हैं खिलते प्रकृति जब प्रेम पाती है।।

3
आधार छंद: गीतिका छंद

प्रेम प्रियवर प्रेम ईश्वर प्रेम पावन वीथिका
प्रेममय जग गा रहा है प्रेम प्रमुदित गीतिका

प्रेम बिन पाषाण है सब प्रेम से ही प्राण हैं
पुष्पधन्वा दे रहे संदेश प्रति पल प्रीति का।।

 

 

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