विशिष्ट गीतकार : रविशंकर मिश्र

नज़र लग गयी
घायल है, चोट
किधर किधर लग गयी,
सोने की चिड़िया की
फिकर लग गयी।

हौसला गज़ब का था
गज़ब की उड़ान
एक किये रहती थी
धरा आसमान
बड़ी खूबसूरत थी
नज़र लग गयी।

गहन अँधेरों में जब
दुनिया घबराती
परों में उजाला भर
रास्ता दिखाती
तभी “विश्वगुरु” वाली
मुहर लग गयी

इतनी तकलीफ़ है कि
कही भी न जाये
बढ़ते ही आते हैं
नफ़रत के साये
प्यार बाँटने में जब
उमर लग गयी

कैसा यू-टर्न
चुपके ही चुपके
ये काम हो गया,
भारत इंडिया का
गुलाम हो गया।

वैसा ही संविधान
वैसा कानून
इंग्लिश जो बोले, वो
है अफ़लातून

हिन्दी का मालिक
बस राम हो गया।

बनाया जिन्हें हमने
पब्लिक सर्वेण्ट
मुल्क मिल्कियत उनकी
हन्ड्रेड परसेण्ट

जनता का जीना
हराम हो गया।

देश ने लिया आखिर
कैसा यू-टर्न
संस्कृति को लील गया
कल्चर वेस्टर्न

खत्म नमस्कार व
प्रणाम हो गया।

उम्मीदों का जलने लगा गला
मेहनत हुई पसीने से तर
किसका हुआ भला
चढ़ी दुपहरी उम्मीदों का
जलने लगा गला

हैण्डपंप हाँफे है, सब–
मर्सिबल पड़ा बीमार
इंतजाम कितने थे पर
सबके सब हैं बेकार
चिड़िया प्यासी, ढोर पियासे
प्यासा हर मसला

चटकी धूप कड़ाके की
जलता है सारा गाँव
ढूँढ़ रही है गर्मी रानी
शीतल–सुरभित छाँव
पेड़ काट बरगद का सबने
फिर फिर हाथ मला

मन झुलसा है, हुलसा भी है
आये हैं मेहमान
अगवानी में चाय–पान में
सारा घर ‘हलकान’
शुभ साइत थी, बिटिया का
गौना भी नहीं टला

 

सभ्यता नंगी खड़ी
सुलगती सिगरेट
उड़ते धुँए के छल्ले
चीखती चेतावनी
पड़ती नहीं पल्ले।

शहर ऊँचे और
बौनी धूप आँगन की
घर उगाना काटकर
जड़ ऑक्सीजन की

सभ्यता नंगी खड़ी है
बीसवें तल्ले।

धधकता सूरज
पिघलता ग्लेशियर का तन
दीखते सच का
समुन्दर क्या करे खण्डन

दे रहे हैं सांत्वना
अखबार के हल्ले।

बारिशों में भीग जायें
प्यास वाले स्वर
आइये हम रोप लें
बादल हथेली पर

इक हरी उम्मीद ओढ़ें
फूटते कल्ले।

सच बेहाल मिलेंगे
फोटोशॉपित तथ्यों के
भ्रमजाल मिलेंगे
आभासी दुनिया में
सच बेहाल मिलेंगे।

जाने किसका धड़ है
सिर जाने किसका
पर्वत दिखे करीने से
खिसका-खिसका

नकली आँसू में
भीगे रूमाल मिलेंगे।

अपनी ढपली और
राग अपने-अपने
चकाचौंध में डूबे हैं
सारे सपने

एक सिरे से भटके
सुर-लय-ताल मिलेंगे।

कबिरा के ढाई आखर
भी झूठ हुए
साखी-सबद-रमैनी
सारे हूट हुए

मंचों पर इठलाते
नरकंकाल मिलेंगे।

मुस्काते श्रीराम
देख यह दृश्य खड़ा
हनूमान ग़ायब
दसकंधर गले पड़ा

नवमारीच धरे
फिर मृग की खाल मिलेंगे
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परिचय . चर्चित गीतकार. विभिन्न राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं, समाचार पत्रों व ई-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित
कई संस्थाओं की ओर से सम्मानित
सम्प्रति – भारत संचार निगम लि., प्रतापगढ़ में अवर दूरसंचार अधिकारी पद पर सेवारत
संपर्क : ग्राम– राजापुर(खरहर), पो.– रानीगंज, जिला– प्रतापगढ़, उ. प्र.–230304
मो.– 9454313344
ई–मेल– ravishm55@gmail.com

 

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