विशिष्ट गीतकार : रूपम झा

1
मैं भी खुदापरस्त हूँ, मेरे खुदा हो तुम
हो प्यार के मसीहा, अहले-वफ़ा हो तुम

हैं नाचते अधर पर, तुमसे मिले तरन्नुम
तुम मुझमें खो रहे हो, मैं तुममें हो रही गुम
मुझमें अदा तुम्हारी, मेरी अदा हो तुम

इस जिन्दगी में तुम ज्यों पुरनूर-सी सुबह हो
मैं हूँ तुम्हारे जैसी, तुम भी मेरी तरह हो
यह कौन फ़न है तुममें, सबसे जुदा हो तुम

तुम सूर्य हो समय के, मैं हूँ किरण तुम्हारी
तुम हो चमन सुखों का, मैं फूल भरी क्यारी
मैं एक ऐसा ख़त हूँ जिसका पता हो तुम

2
सीखा तुमसे खुलकर हँसना

पहले मेरे इन अधरों पर
बैठ गया था आकर मरुथल
आँखों के आगे फैला था
केवल नागफनी का जंगल
सिखा दिया है तुमने मुझको
बादल बनकर खूब बरसना

समय बाँध कर चला गया था
मरे इन पैरों में पत्थर
मेरे सपनों के मुख पर जब
गया अँधेरा कालिख मलकर
तब तुमने ही धीरे-धीरे
सिखा दिया तारों में बसना

अब वे दिन हैं नहीं सताते
जब मैं मन से हार चुकी थी
उम्मीदों के आभूषण को
पूरी तरह उतार चुकी थी
इच्छायें अब गंध लुटातीं
बंद हुआ नागों का डसना

 

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