विशिष्ट कहानीकार :: चाँदनी समर

कब्र की मिट्टी – चाँदनी समर सर्दी और बढ़ गई थी। मैने लिहाफ़ खींच खुद को उसमे लपेट लिया कि आज देर तक सोऊंगी । वैसे भी रविवार है। मगर…

सामाजिक दायित्व के बोध की ग़ज़लें :: चुप्पियों के बीच

  सामाजिक दायित्व के बोध की ग़ज़लें :: चुप्पियों के बीच मुकेश कुमार सिन्हा वो विज्ञान की विद्यार्थी रहीं हैं। रसायन शास्त्र पसंदीदा विषय है। फिर भी साहित्य में गहरी…

लघुकथा :: ज्वाला सांध्यपुष्प

मां का आशीर्वाद – ज्वाला सांध्यपुष्प आज शहर के युवा चिकित्सक अमितशंकर के प्रथम पुत्र की छट्ठी की रस्म थी और वे खुद अनुपस्थित थे।शहर के सभी गणमान्य व्यक्ति पधारे…

विशिष्ट ग़ज़लकार :: स्वदेश भटनागर

1 वक्त ने कैसी तल्खियां दे दी कब्र के नाम चिट्ठियां दे दी ले के लम्हों ने हमसे आवाजें बात करने को चुप्पियां दे दी छुप गये हर्फ जाके लफ्जों…

संस्मरण :: बाघ की गुर्राहट सुन पेड़ पर कटी रात

बाघ की गुर्राहट सुन पेड़ पर कटी रात! – बिभेष त्रिवेदी, वरीय पत्रकार यह बनौली फारेस्ट गेस्टहाऊस है। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के बड़े परिसर में बेतिया राज का गेस्टहाऊस। यहां…