खास कलम : विकास

1 सफर में रहनुमाई चाहता हूँ कहाँ तुमसे जुदाई चाहता हूँ मैं ज़िम्मेदार  हूँ  अपने किये का न  उसकी मैं बधाई चाहता हूँ ये कैसी ज़िद  मेरे  हिस्से में आई…

दोहे : जयप्रकाश मिश्र

सोने जैसी बेटियाँ, भिखमंगें हैं लोग। आया कभी न भूल कर, मधुर-मांगलिक योग।। 11 लिपट तितलियाँ पुष्प से , करती हैं मनुहार। रंगों का दरिया बहे, बरसे अमृतधार।।12 चेहरे से…

विशिष्ट कहानीकार : अंजू शर्मा

उम्मीदों का उदास पतझड़ साल का आखिरी महीना है ऑटो से उतरकर उसने अपने दायीं ओर देखा तो वह पहले से बस स्टॉप पर बैठी उसका इंतज़ार कर रही थी!…

आलेख : संजीव जैन

वस्तुकरण का उन्माद आधुनिक पूँजीवादी व्यवस्था ने पूरी दुनिया को ‘वस्तुकरण के उन्माद’ की धुंध और कुहासे के अनंत चक्रव्यूह में फंसा दिया है। ऐसा उसने व्यक्ति चेतना को ‘वस्तुकरण’…

विशिष्ट गीतकार : किशन सरोज

1 धर गये मेंहदी रचे दो हाथ जल में दीप जन्म जन्मों ताल सा हिलता रहा मन बांचते हम रह गये अन्तर्कथा स्वर्णकेशा गीतवधुओं की व्यथा ले गया चुनकर कमल…

पुस्तक समीक्षा : परवाज-ए-ग़ज़ल

गहन संवेदना का प्रखर दस्तावेज परवाज-ए-ग़ज़ल गजल जब अपने परंपरागत ढांचे को तोड़ते हुए  रूहानियत और रूमानियत के सिंहासन से उतरकर किसी झोपड़ी के चौखट की पीड़ा के प्रति जवाबदेह…

विशिष्ट गजलकार : ओमप्रकाश यती

1 कभी लगती मुझे भीगे नयन की कोर है अम्मा मगर हरदम मेरी उम्मीद का इक छोर है अम्मा बिखरने से बचाती है, सभी को बाँधकर रखती अनूठे प्रेम की,…

विशिष्ट कवयित्री : मंजूषा मन

1 सहारा तुमने कहा – “तुम लता बन जाओ मैं हूँ न सहारा देने को, मेरे सहारे तुम बढ़ना ऊपर छूना आसमान… खो गई में तुम्हारी घनाई में तुम्हारे घने…