ख़ास कलम :: दीप शिखा
दीपशिखा की ग़ज़लें 1 कष्ट ये दाल रोटी का जाता नहीं , पेट खाली हो गर कुछ भी भाता नहीं। मीर भी इस ज़माने में रहता अगर , उल्फतों के …
दीपशिखा की ग़ज़लें 1 कष्ट ये दाल रोटी का जाता नहीं , पेट खाली हो गर कुछ भी भाता नहीं। मीर भी इस ज़माने में रहता अगर , उल्फतों के …