ख़ास कलम :: डाॅ. अफ़रोज़ आलम
ग़ज़ल क्या अजब लुत्फ़ मुझे सब्र के फल में आए जैसे नुज़हत कोई रुक-रुक के महल में आए हाय वो इश्क़ की नैरंग-ए-तमन्ना मत पूछ मस्त हो-हो के मेरी शोख़…
ग़ज़ल क्या अजब लुत्फ़ मुझे सब्र के फल में आए जैसे नुज़हत कोई रुक-रुक के महल में आए हाय वो इश्क़ की नैरंग-ए-तमन्ना मत पूछ मस्त हो-हो के मेरी शोख़…
तोतली जुबान वाला हर्ष डॉ शिवम् तिवारी “तातू, तातू, आ गए मेरे तातू” सर पर बेतरतीब बिखरे बाल, बदन पर पुरानी टी-शर्ट एवं अधफटी नेकर पहने महज 5 बरस का…
आम आदमी की कविताएं ‘आकाश के पन्ने पर’ आशीष मोहन डॉ. अमरजीत कौंके समकालीन कविताई के जाने-माने नाम, हिंदी और पंजाबी के बीच सेतु और दोनों ही भाषाओं के सिद्धहस्त…
प्रगतिशीलता का दंश – दिनेश ‘तपन’ वे उच्च शिक्षा प्राप्त एक सम्पन्न व्यक्ति थे,मगर उन्हें गाँव का वातावरण प्रियकर नहीं लगा,लिहाजा पचास-साठ बीघे…
केशव शरण की ग्यारह ग़ज़लें 1. बताये दर गया था तुम वहाँ भी थे नहीं मैं पुराने घर गया था तुम वहाँ भी थे नहीं वायदे पर भेंट करने चीज़…
हरिहर प्रसाद चौधरी ‘नूतन’ के पाँच गीत (कवि की पुण्यतिथि पर स्मरण) विघटन की गहराइयाँ छोटे-छोटे सुख के पौधे, ऐश्वयों की डालियाँ बौरायी हैं खट्टे-मीठे फलवाली अमराइयाँ । धोखे…
( डाॅ श्रीरंग शाही की पुण्यतिथि 25 सितंबर पर विशेष – उनके द्वारा लिखित आलेख संत कवि दादू) संत कवि दादू डाॅ श्रीरंग शाही दादू दयाल सर्वात्मवाद के प्रवर्तक और…