विशिष्ट कवि :: राजेंद्र ओझा
राजेंद्र ओझा की चार कविताएं लाचार हर बार जब वह उड़ने को होता और सोचता कि चलो कुछ दाने चुग आए उसके सामने दाने फेंक दिए जाते। उसे यह अच्छा…
राजेंद्र ओझा की चार कविताएं लाचार हर बार जब वह उड़ने को होता और सोचता कि चलो कुछ दाने चुग आए उसके सामने दाने फेंक दिए जाते। उसे यह अच्छा…