विशिष्ट गीतकार : संध्या सिंह

चौमासा  थोड़ी धूप छुपा कर रखना सीलन का मौसम आना है सागर से विकराल भयानक काले काले दैत्य उठेंगे जहाँ प्रेम की लिखी इबारत ठीक वहीं जा कर बरसेंगे जम…

आलेख : संतोष सारंग

हिंदी उपन्यासों में ग्रामीण जन-जीवन का चित्रण  – संतोष सारंग   उत्तर आधुनिकता का लबादा ओढ़े आज का आम आदमी नगरीय तौर-तरीके अपनाने को आकुल है। ग्राम्य जीवन में भी…

विशिष्ट ग़ज़लकार : विज्ञान व्रत

1 कुछ नायाब ख़ज़ाने रख ले मेरे अफ़साने रख जिन का तू दीवाना हो ऐसे कुछ दीवाने रख आख़िर अपने घर में तो अपने ठौर-ठिकाने रख मुझ से मिलने-जुलने को…

खास कलम : विनय

हँसी का सौंदर्य झरने की तरह कल–कल करती ध्वनि आसमान में चिड़ियों का कलरव फूलों पर मंडराते भौंरों का गुंजन या फिर अल्हड़ हवाओं की सनसनाहट सच कहूँ ऐसे ही…

विशिष्ट कवि : सुशील कुमार

बारिश, पहाड़ और भूख रातभर बारिश हुई है पहाड़ पर चीड़-साल नहा गया पोर-पोर नेतरहाट में फुनगियों-पत्तों से टघर रहा पानी अनगिन धार बनकर रिस रहा घोसलों में झोपड़ों में…

विशिष्ट कहानीकार : सुशील कुमार भारद्वाज

नंदनी नंदनी. हां हां. वही नंदनी जो खुद में खोई खोई सी रहती है. अरे वही नंदनी, जिसे राजनीति और राजनेता शब्द से इतनी चिढ़ है कि चर्चा शुरू होते…

विशिष्ट कवयित्री : रुचि भल्ला

माफ़ीनामा मैं क्षमाप्रार्थी हूँ दुनिया के सारे बच्चों के प्रति कि उन्हें मारा गया छोटी -छोटी बातों पर हाथ उठाया उनकी छोटी गल्तियों पर उन्हें चोट देते रहे जबकि बड़ी…