विशिष्ट ग़ज़लकार : दिनेश प्रभात

दोस्तो! साहित्य में नौ रस होते हैं. सोचा भी नहीं था कि कभी दस वांँ भी रस होगा और उसका नाम होगा – वायरस. कविताओं में सबसे ख़तरनाक रस होता…

लघुकथा : कैलाश झा ‘किंकर’

बाबूजी ठीक कह रहे हैं – कैलाश झा किंकर   ‘कोरोनटाईन सेंटर के प्रभारी के रूप में तुमने ग़लत कमाई का जो अम्बार खड़ा कर लिया है,उसे देखकर मुझे तुम्हारे…

विशिष्ट गीतकार : रंजन कुमार झा

रंजन कुमार झा (1) व्याधि तुझे तो आना ही था सँग कुदरत के इन मनुजों ने जो  निर्मम व्यवहार किया है भू, जंगल, पर्वत, नदियों पर जितना  अत्याचार किया है…

विशिष्ट गीतकार : मंजू लता श्रीवास्तव

धन्य ये प्राण हो गए हाट हुए हैं बंद घाट सुनसान हो गए जीवन के अवरुद्ध सभी अभियान हो गए   था स्वतंत्र अब तक यह जीवन अपनी शर्तों पर…

विशिष्ट गीतकार : शुभम् श्रीवास्तव ओम

काँपता है गाँव गाँव में कुछ लोग लौटे हैं शहर से! हैं वही परिचित वही अपने-सगे हैं पाँव छूकर फिर गले सबके लगे हैं रोज के निर्देश से कुछ बेखबर…