विशिष्ट ग़ज़लकार : डी.एम. मिश्र
1 यूं अचानक हुक्म आया लाकडाउन हो गया यार से मिल भी न पाया लाकडाउन हो गया बंद पिंजरे में किसी मजबूर पंछी की तरह दिल हमारा फड़फड़ाया लाकडाउन हो…
1 यूं अचानक हुक्म आया लाकडाउन हो गया यार से मिल भी न पाया लाकडाउन हो गया बंद पिंजरे में किसी मजबूर पंछी की तरह दिल हमारा फड़फड़ाया लाकडाउन हो…
उदास- उदास सफ़र था उदास रस्ता भी उदास लगता था मुझको ख़ुद अपना साया भी हमारी रात उजालों से कब हुई रौशन बना के चाँद उसे आइना में देखा …