दोहे :: गरिमा सक्सेना

दोहे गरिमा सक्सेना  माँ है मूरत प्रेम की, ममता का भंडार। संतानों में देखती, वो अपना संसार।। सदा सुधा ही बाँटती, सहकर शिशु की लात। माँ आँचल में प्रेम भर,…

विशिष्ट गीतकार :: डॉ. सीमा विजयवर्गीय

तस्वीरों में जब भी माँ दिख जाती है डॉ. सीमा विजयवर्गीय तस्वीरों में जब भी माँ दिख जाती है मुझको उसकी बेहद याद सताती है पलभर भी वो मुझसे दूर…

विशिष्ट गीतकार :: सोनिया अक्स

नज़्म सोनिया अक्स  अभी जिंदा है मेरी मां , अभी मैं रो नहीं सकती अंधेरे लाख घिर आऐं तजल्ली खो नही सकती मेरे अश्कों का हर क़तरा संभाले अपनी पलकों…

विशिष्ट गीतकार :: डॉ. संजय पंकज

डॉ. संजय पंकज के तीन गीत मां तो होती सबके आगे पीछे रहती रखती सबको साए में! मां तो होती धूप चांदनी कुछ गाए अनगाए में! संबंधों की पूरी दुनिया…

विशिष्ट गीतकार :: महेश कटारे सुगम

नवगीत अम्मा महेश कटारे सुगम घर में नहीं अकेली अम्मा तुलसी का घरुवा गुटका रामायण का भगवानों से सजा हुआ इक सिंहासन एक दुधारू गैया चितकबरी बिल्ली कच्चा सोंधा लिपा…

विशिष्ट ग़ज़लकार :: वशिष्ठ अनूप

ग़ज़ल वशिष्ठ अनूप तिनके तिनके हमेशा जुटाती रही एक घर अपने मन में बनाती रही दूध और भात हर दिन कहाँ था सुलभ किंतु मां चंदा मामा बुलाती रही नेह…

विशिष्ट ग़ज़लकार :: रवि खण्डेलवाल

ग़ज़ल रवि खण्डेलवाल घर के अंदर माँ रहती है, माँ के अंदर घर बिन माँ के सूनी दीवारें, सूना घर का दर माँ ही ऐसी होती जो दुनिया के दुख…