विशिष्ट ग़ज़लकार :: डॉ.अंजनी कुमार सुमन
ग़ज़ल डाॅ. अंजनी कुमार सुमन नेमत है मन्नत है रब है सच में चारों धाम है माॅं हर बच्चे का काबा काशी अल्लाह यीशू राम है माॅं ममता की कोमल…
ग़ज़ल डाॅ. अंजनी कुमार सुमन नेमत है मन्नत है रब है सच में चारों धाम है माॅं हर बच्चे का काबा काशी अल्लाह यीशू राम है माॅं ममता की कोमल…
ग़ज़ल डॉ.सोनरूपा विशाल शाम सी नम,रातों सी भीनी,भोर सी है उजियारी माँ मुझमें बस थोड़ी सी मैं हूँ, मुझमें बाक़ी सारी माँ जब मुश्किल हालात के अंगारों से हमको आँच…
ग़ज़ल संजीव प्रभाकर हमेशा काम करती माँ, यूँ सुब्ह-ओ-शाम करती माँ कभी देखा नहीं लेटी हुई आराम करती माँ कड़ी मेहनत बताती थी -मेरी हर कामयाबी को मेरी सब मुश्किलों…
ग़ज़ल मधुवेश हो रहा था मैं बड़ा माँ का चिमटना देखता इक अदद घर के लिए दिन-रात खटना देखता हाथ मेरे और भी ज्यादा जला देता तवा मैं नहीं माँ…
ग़ज़ल सुशील साहिल पिता के हाथ में पहली कमाई दे नहीं पाया कभी बीमार माँ को मैं दवाई दे नहीं पाया लियाक़त औ मशक़्क़त से जो आगे की तरफ़ निकला…
अरुण शीतांश की तीन कविताएं दादी मां की याद दादी की बहुत याद आ रही है बगल में एक दादी रोती है रोज़ लकवा की मारी है वह …
अभिनव अरुण की चार कविताएं छोटी कविता ! बहुत दिनों बाद जेठ की ठेठ तपती दुपहरी में बरसे है बादल तेज आंधी के साथ सड़कों से उठी है सोंधी…
कई हिस्सों में बंटी है मां धर्मेंद्र गुप्त ‘साहिल’ कई हिस्सों में बँटी है माँ के सभी हिस्से अलग-अलग रहते हैं माँ बारी-बारी से प्रत्येक हिस्से के पास रहती है…
मेरा पहला रिश्ता तुम से ही है मां कल्याणी शर्मा दूर गई हूँ जब से तब से ज़्यादा जान पाई हूँ माँ तुम कितनी कितनी फ़िक्र करती थीं मेरी मेरे…
माँ – नरेश शांडिल्य मंदिर की देहरी भजन गाती मंडली दाना चुगती चिड़िया तुलसी का बिरवा पीपल का पेड़ छड़ी वॉकर अस्पताल का स्ट्रेचर… जब-जब भी दिखते हैं याद आने…