विशिष्ट कवि :: मधुकर वनमाली
कस्तूरबा मधुकर वनमाली बड़े नसीब वाले थे बापू उन्हें तुम जो मिली थी,बा और तुम्हारा यह नाम कहलाती तुम जो,माँ न तो उन का दिया और न हीं उन के…
कस्तूरबा मधुकर वनमाली बड़े नसीब वाले थे बापू उन्हें तुम जो मिली थी,बा और तुम्हारा यह नाम कहलाती तुम जो,माँ न तो उन का दिया और न हीं उन के…
बारिश की पहली फुहार डॉ पंकज कर्ण प्रेम से उपजे जज़्बातों सूरज की किरणों एवं कसमसाते हुए सागर के ज्वार-सा प्रलयकारी समय जब हार जाता है अपनी ही चौखट पर,…
सबसे पहले माँ ब्रज श्रीवास्तव माँ केवल माँ नहीं है सुखद उपस्थिति है किसी जज़्बात का माँ कोई जन्नत नहीं है वह तो खालिस धरती है धरती पर मौजूद घर…
बारिश में जूते के बिना निकलता हूँ घर से ■ शहंशाह आलम बारिश में जूते के बिना निकलता हूँ घर से बचपन में हम सब कितनी दफ़ा निकल जाते थे…
खबरी अम्मा – नज़्म सुभाष अहले सुबह उठकर सारी नित्यक्रिया निपटाकर अंततः अम्मा छः बजे तक एकदम फ्री हो जाती फिर शुरू होती उनकी घरवादारी….…
अम्माँ का समय – राजनारायण बोहरे अम्माँ लगभग मेरे सिर पर खड़ी हो पूछ रहीं थीं कि मैं क्या खोज रहा हूं? उन्हें भला कहाँ सुहाता कि उनके एकल संसार…