विशिष्ट ग़ज़लकार :: के.पी.अनमोल

के.पी. अनमोल की दो ग़ज़लें 1 है दिल से ये निकलती सदा वन्दे मातरम मेरे वतन, तू मेरी वफ़ा वन्दे मातरम नापाक हौसलों से कहो ख़ैर अब करें अब हमने…

विशिष्ट गीतकार :: वशिष्ठ अनूप

वशिष्ठ अनूप के दो गीत   हमारा वतन जाति-धर्मों में इसको न बाँटे कोई प्रेम की पाठशाला हमारा वतन । इसके जैसा नहीं है कोई दूसरा सारे जग से निराला…