विशिष्ट कवि : विमलेश त्रिपाठी
चूल्हा वह एक स्त्री के हाथ की नरम मिट्टी है आँच में जलते गालों की आभा आत्मा के धुँए का बादल और आँख का लोर झीम-झीम बहता काजल वह आसमान…
चूल्हा वह एक स्त्री के हाथ की नरम मिट्टी है आँच में जलते गालों की आभा आत्मा के धुँए का बादल और आँख का लोर झीम-झीम बहता काजल वह आसमान…
मेरे हिस्से की भूख : लाचार कविता —————————————————– ( गरीबी और लाचारी में जीवन यापन करते हुए एक कवि/लेखक की अंतरात्मा से लिखी गई एक कविता जो विश्व की महान…
एक गीत-ये हमारे प्रान बहुत मुश्किल से हवा में लहलहाते धान ये नहीं हैं धान , प्यारे ये हमारे प्रान ! जोंक पांवों में लिपटकर रही पीती खून, खुरपियों से…
अपनों के लिए ईश्वर को साथ लिए चलती है स्त्री सामा चकेवा के बहाने पहुँच जाती है नइहर भावजों से तिरस्कृत होकर भी नही चाहती अनबन रोक देती है भाई…
हातिम जावेद की ग़ज़लें 1 इक नज़र आपकी हो गई ज़िंदगी ज़िंदगी हो गई आपने लफ़्ज़े-कुन कह दिया सारी कारागरी हो गई आप की दी हुई ज़िंदगी लीजिए आपकी हो…
डी.एम.मिश्र की ग़ज़लें लोक-जीवन का काव्यात्मक अंकन हैं डी.एम.मिश्र की ग़ज़लें अपने स्वगत चिंतन और आत्मानुभूति के लोक में स्वछंद विहार करती हुई नज़र आती हैं। इसका प्रमुख कारण है…
आदिवासी स्त्रियाँ (निर्मला पुतुल की कविताओं के विशेष संदर्भ में) – डॉ मनमीत कौर वर्तमान भारत में आदिवासियों की कुल आबादी लगभग आठ प्रतिशत है। इसमें आदिवासी स्त्रियों इसका…
दो बहनों की कहानी – सपना सिंह ……कुछ पुराना सा शीर्षक है न। दो बैलों की कथा सा ध्वनित होता है। पर क्या करें एक के साथ दूसरे की बात…