खास कलम: मनोज

न नजरें मिली न देखा जी भर यादों में बसी वह हमसफर हर डगर दो कदम जो चले मेरी परछाई वो जुदा जब हुए मेरी तन्हाई वो आंखें जब लगी…

विशिष्ट कवि : जनार्दन मिश्र

मै उसे कहां ढूंढूं उसने मुझे पोस्टकार्ड पर लिखा सिर्फ मेरे पता के सिवाय कुछ नहीं पोस्टकार्ड पर लगी मुहर भी काफी धुंधली थी जिसे माइक्रो ग्लास से भी नहीं…

विशिष्ट गीतकार : शिव कुमार बिलगरामी

प्यार करते हो मुझे तुम तो यही उपहार देना मैं तुम्हारा हो न पाऊँ , फिर भी मुझको प्यार देना तुम अगर मेरे सुहृद हो तो मुझे तुम प्यार करना…

विशिष्ट गीतकार : शांति सुमन

पुलकवाली नींद तुम नदी होते तुम्हीं से कहा करते बात मन की लहर से हम मांग लाते धार पर बहना और उल्टी हवाओं में पांव थिर रखना तुम हवा होते…

विशिष्ट गीतकार : वशिष्ठ अनूप

साँस रुक सी गयी साँस रुक सी गयी, थम गयीं धड़कनें तुमको देखा तो दिल मुस्कराने लगा। ये निगाहें ठगी -सी रहीं देखती इक अजब -सा नशा मुझपे छाने लगा!!…

आलेख : डॉ. मुकेश कुमार

कमल सुनृत वाजपेयी के काव्य में बसंत ऋतु का चित्रण बहुआयामी  प्रतिभा की धनी कवयित्री कमल सुनृत वाजपेयी का जन्म 10 फरवरी, सन् 1947 ई. में यवतमाल (मध्यप्रदेश) में पं.…

विशिष्ट कहानीकार : प्रवेश सोनी

रिश्तों का रेशम निशा जरा जल्दी करो भाई ,मनोज ने मोज़े पहनते हुए किचन की और देखते हुए कहा |मनोज की आवाज़ सुन कर अनमनी निशा ने हाथों को गति…