विशिष्ट कवि : जयप्रकाश मिश्र
दोहे तुम्हें देख विस्मित रहे, हर पूनम का चाँद । चाहे जितना रोक लो, प्यार न माने बाँध।। प्यार तुम्हारा यों लगे,ज्यों फूलों की गंध। कोयल बैठी बाग में, पढ़े…
दोहे तुम्हें देख विस्मित रहे, हर पूनम का चाँद । चाहे जितना रोक लो, प्यार न माने बाँध।। प्यार तुम्हारा यों लगे,ज्यों फूलों की गंध। कोयल बैठी बाग में, पढ़े…
लहराती हसीं जुल्फ़ें काजल की धार से कैसे बचेगा कोई तिरछी कटार से पतली है कमर तेरी हंसों -सी चाल है खुशबू बदन से आए जैसे बहार से काली घटा…
सखि आया देख बसंत पीत वसन को पहन पधारा लगता प्रिय ज्यों कंत आमों में मँजरिया डोले बागों में कोयलिया बोले मन में उठे उमंग नाचे सकल-दिगंत हे सखि…. भांति…
आहट मैंने चाँद पर पाँव रखा फिर बादल पर फिर दरिया पर फिर हवा पर फिर पत्तों पर सब जगह एक आहट थी जो मेरे साथ थी और वह आहट…
1 प्यार हमने किया छोड़िये छोड़िये चाक दामन सिया छोड़िये छोड़िये शोख़ पुरवईया दिल दुखाती रहीं साथ उनके जिया छोड़िये छोड़िये ये न समझो कि सागर से हम दूर थे…
तुम मुझे मिली तुम मुझे मिली मैं सरेराह ठिठक गया तुमने मुझे देखा मेरी आंखों में उग आया सतरंगा इंद्रधनुष तुम मुस्कुराई मेरे भीतर हरसिंगार झरे तुम मेरे पास आई…
1 तुम क्या आना-जाना भूले हम तो हंसना हंसाना भूले तुमने ही तो चमन खिलाया तुम ही फूल खिलाना भूले हम से भूल हुई क्या बोलो क्या तुमको लौटाना भूले…
1 वो मिले यूँ कि फिर जुदा ही न हो ऐसा माने कि फिर ख़फ़ा ही न हो मैं समझ जाऊँ सारे मजमूँ को खत में उसने जो कुछ लिखा…
प्रेम 1 तुमने कहा चाहता हूँ बेइन्तहा तुम्हे तुम्हारी खातिर सो नहीं पाता रातों को तुम्हारे सिर्फ तुम्हारे लिए जागता और बदलता हूँ करवटें सारी रात सुबह से शाम तक…
मत करना प्रेम तुम मुझे मत करना प्रेम सबके सामने कि लोग जान जाएँगे राज़ एक ठूँठ वृक्ष के हरे होने का तुम करना प्रेम अपने आँगन में बैठी गोरैया…