विशिष्ट ग़ज़लकार : दुष्यंत कुमार
दुष्यंत कुमार की दस ग़ज़लें : 1 मैं जिसे ओढ़ता-बिछाता हूँ, वो ग़ज़ल आपको सुनाता हूँ। एक जंगल है तेरी आँखों में, मैं जहाँ राह भूल जाता हूँ। …
दुष्यंत कुमार की दस ग़ज़लें : 1 मैं जिसे ओढ़ता-बिछाता हूँ, वो ग़ज़ल आपको सुनाता हूँ। एक जंगल है तेरी आँखों में, मैं जहाँ राह भूल जाता हूँ। …
दुष्यंत के सीने में जलती आग डॉ अभिषेक कुमार अगर वास्तव में तुम दुष्यंत के सीने में जलती आग को महसूस करना चाहते हो तो कभी जाकर देखो उस…
दुष्यंत की कविता हिन्दी ग़ज़ल के स्थापक दुष्यंत कुमार अपने समकालीन साहित्यकारों के बारे में भी कविताएं लिखा करते थे, आज वे रचनाएं महत्त्वपूर्ण साहित्यिक दस्तावेज हैं । जिनके माध्यम…
दुष्यंत कुमार : एक अमिट हस्ताक्षर – अंजना वर्मा हिंदी में ग़ज़ल विधा को लोकप्रिय बनाने…
‘साये में धूप’में अभिव्यक्त दुष्यंत कुमार की सामाजिक चेतना वेदप्रकाश भारती दुष्यंत कुमार, जिनका नाम हिंदी गजल के प्रथम गजलकार के रूप में जाना जाता है। जिन्होंने गजल को रोमानियत…
दुष्यंत ने दिलायी थी हिन्दी ग़ज़ल की सही पहचान डॉ. भूपेंद्र बिष्ट दुष्यन्त कुमार का नाम सामने आते ही हमें उनके गज़ल संग्रह “साए में धूप” (1975) की पहली गज़ल…
दुष्यंत कुमार की समसामयिकता राजेन्द्र राज 1975 में ‘साए में धूप‘ ग़ज़ल-संग्रह से दुष्यंत कुमार लोकप्रियता की मुकाम पर पहुंचे और आम लोगों ने उनकी सामाजिक चेतना तथा आंदोलनात्मकता को…
साये में धूप : दुष्यन्त कुमार – निधि गौतम हिंदी कविता की परंपरा में साये में धूप जैसा संग्रह…
दुष्यंत की ग़ज़लों में बिम्ब, प्रतीक और मुहावरे …
जनकवि दुष्यन्त : हिंदी ग़ज़ल में सामाजिक सरोकार और साहित्यिक योगदान …