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विशिष्ट गीतकार :: डॉ संजय पंकज
डॉ संजय पंकज के चार गीत गीत अधूरे तुम क्या जानो तुम्हें पता क्या तुम बिन कितने गीत अधूरे! वर्तमान के जस के तस ही अपने रहे अतीत अधूरे! खाली…
विशिष्ट गीतकार :: गरिमा सक्सेना
(1) प्रिये तुम्हारी आँखों ने कल दिल का हर पन्ना खोला था दिल से दिल के संदेशे सब होठों से तुमने लौटाये प्रेम सिंधु में उठी लहर जो कब तक…
विशिष्ट गीतकार :: अवनीश सिंह चौहान
देवी धरती की दूब देख लगता यह सच्ची कामगार धरती की मेड़ों को साध रही है खेतों को बाँध रही है कटी-फटी भू को अपनी- ही जड़ से नाथ रही…
