पुस्तक समीक्षा : परवाज-ए-ग़ज़ल
गहन संवेदना का प्रखर दस्तावेज परवाज-ए-ग़ज़ल गजल जब अपने परंपरागत ढांचे को तोड़ते हुए रूहानियत और रूमानियत के सिंहासन से उतरकर किसी झोपड़ी के चौखट की पीड़ा के प्रति जवाबदेह…
गहन संवेदना का प्रखर दस्तावेज परवाज-ए-ग़ज़ल गजल जब अपने परंपरागत ढांचे को तोड़ते हुए रूहानियत और रूमानियत के सिंहासन से उतरकर किसी झोपड़ी के चौखट की पीड़ा के प्रति जवाबदेह…
मानवीय संवेदना के रस से युक्त”अभी तुम इश्क़ में हो” छंदमुक्त कविता के जिस दौर में लोग मांग के अनुसार कविता लिख रहे हों, उस दौर में अगर कोई अपने…
रूमानी कलेवर में गंभीर चिंतन सहेजती कहानियाँ डार्क चॉकलेटी आवरण पर रखा कप, कप से उठती भाप में नज़र आते दो दिल और सुर्ख गुलाब ! काफ़ी हैं महसूस कराने…
डॉ हरी सिंह गौर केंद्रीय विश्व विद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा ,समकालीन ग़ज़ल और अशोक मिज़ाज,शीर्षक से परिचर्चा एवं काव्य पाठ का आयोजन किया गया। इसमें मुख्य वक्ता के रूप…
समकालीन महिला गजलकार : एक महत्वपूर्ण कृति – जयप्रकाश मिश्र ख्यातिप्राप्त लेखक एवं चर्चित दोहाकार हरेराम “समीप” के संपादकत्व में छपी पुस्तक “समकालीन महिला गजलकार” साहित्य जगत में एक महत्त्वपूर्ण…
हिंदी ग़ज़ल का प्रभुत्व यानी हिंदी ग़ज़ल का नया पक्ष – लेखक – अनिरुद्ध सिन्हा/ समीक्षक – शहंशाह आलम हिंदी ग़ज़ल की आलोचना मेरे ख़्याल से हिंदी साहित्य में उतनी व्यापक अथवा विकसित…
भावों के रंगों की भरमार- ‘नीले अक्स’ – समीक्षक – केदारनाथ ‘शब्द मसीहा’ कविता और वो भी जीवन से जो पैदा हो, पढ़ने पर पाठक के मन तक पहुँचती है।…
प्रजापति की ग़ज़लें अत्यंत सहजता से वर्तमान के यथार्थ तक ले जाती हैं – अनिरुद्ध सिन्हा डॉ कृष्ण कुमार प्रजापति की ग़ज़लें साधारण बोलचाल की आवाज़ के उतार-चढ़ाव में हैं…
पुस्तक समीक्षा हर इक ख़ूबी-ओ-ख़ामी पर नज़र जाए तो अच्छा हो: दहलीज़ का दिया – के. पी. अनमोल ‘दहलीज़ का दिया’ भाई वाहिद काशीवासी का पहला ग़ज़ल संग्रह है। बनारस…
उर्दू हिंदी अल्फ़ाज़ का हसीन मिलन शब्दों की कीमत शायरी का लगाव हमेशा दिल से रहा है. मौज़ू और मंज़ूम कलाम को शायरी कहते हैं. दूसरे शब्दों में अपने हुस्न-ए-ख़्याल…