विशिष्ट ग़ज़लकार :: मधुवेश

ग़ज़ल मधुवेश हो रहा था मैं बड़ा माँ का चिमटना देखता इक अदद घर के लिए दिन-रात खटना देखता हाथ मेरे और भी ज्यादा जला देता तवा मैं नहीं माँ…

विशिष्ट ग़ज़कार :: सुशील साहिल

ग़ज़ल सुशील साहिल पिता के हाथ में पहली कमाई दे नहीं पाया कभी बीमार माँ को मैं दवाई दे नहीं पाया लियाक़त औ मशक़्क़त से जो आगे की तरफ़ निकला…

विशिष्ट ग़ज़लकार :: धर्मेंद्र गुप्त साहिल

1 वो ही बाबा है ,वो ही  मैया है कुछ बदल सा गया कन्हैया है मेरी गंगा है  मेरी जमुना भी जो  मेरे  गाँव  की तलैया है अब कहाँ नीम…

विशिष्ट ग़ज़लकार :: अखिल भंडारी

1 तन्हाइयों की हद से गुज़रना पड़ा मुझे इक अजनबी का साथ भी अच्छा लगा मुझे   अच्छे दिनों की आस भी क्या दिल फ़रेब थी जीना बड़ा मुहाल था…

विशिष्ट ग़ज़लकार :: हस्तीमल हस्ती

1 रस्ता चाहे जैसा दे साथी लेकिन अच्छा दे प्यार पे हँसने वालों को प्यार में थोड़ा उलझा दे जिसमें सदियां जी लूं मैं इक लम्हा तो ऐसा दे जैसा…

विशिष्ट ग़ज़लकार :: ऋषिपाल धीमान ‘ऋषि’

ग़ज़ल 1 यों कभी लगता है जैसे मुश्किलों से दूर हूँ, और कभी लगता ख़ुशी की महफ़िलों से दूर हूँ।   मान से होना वो ख़ुश अपमान से होना दुखी,…

विशिष्ट ग़ज़लकार : वशिष्ठ अनूप

1 कभी बैठेंगे हम,सुख-दुख कहेंगे, अगर ज़िन्दा रहे तो फिर  मिलेंगे।   बहुत  दुख-दर्द  जीवन में सहे हैं, ये कुछ दिन की तबाही भी सहेंगे।   हज़ारों  कोस  घर की…

विशिष्ट ग़ज़लकार :: दिनेश मालवीय अश्क

1 मैं  भी हाँ  मे  हाँ   मिलाना सीख ही लूँ जैसा  गाना  हो  बजाना  सीख   ही लूँ।   बॉस  की  हर  बात  पर, बेबात पर भी क़हक़हा  खुलकर लगाना सीख…

विशिष्ट ग़ज़लकार : महेश कटारे सुगम

1 मुझमें इक दुःख भरा आदमी रहता है वर्षों से अधमरा आदमी रहता है   झुकता नहीं किसी भी ताकत के आगे ऐसा ही इक खरा आदमी रहता है  …

विशिष्ट ग़ज़लकार :: ममता किरण

“ग़म-ए-दुनिया से गर पाई भी फ़ुरसत सर उठाने की” तो फिर कोशिश करेँगे हम भी कुछ-कुछ मुस्कराने की। बशर के बीच पहले भेद करते हैं सियासतदाँ ज़रूरत फिर जताते हैं…