विशिष्ट ग़ज़लकार : अशोक मिजाज
1 मोहब्बत की वो शिद्दत आज भी महसूस होती है, पुरानी चोट है लेकिन नई महसूस होती है। मेरी आँखों में तू ,ख़्वाबों में तू,साँसों में तू ही तू, न…
1 मोहब्बत की वो शिद्दत आज भी महसूस होती है, पुरानी चोट है लेकिन नई महसूस होती है। मेरी आँखों में तू ,ख़्वाबों में तू,साँसों में तू ही तू, न…
1 ख़ुशी के एक क़तरे को तरसती ज़िन्दगी है चले आओ, तुम्हीं में दो जहानों की ख़ुशी है सभी चीज़ें बहुत महफ़ूज़, हासिल, तयशुदा हैं कमी है ज़िन्दगी में तो…
हमन है इश्क़ मस्ताना, हमन को होशियारी क्या, गुज़ारी होशियारी से, जवानी फिर गुज़ारी क्या धुएँ की उम्र कितनी है, घुमड़ना और खो जाना, यही सच्चाई है प्यारे, हमारी क्या,…
लहराती हसीं जुल्फ़ें काजल की धार से कैसे बचेगा कोई तिरछी कटार से पतली है कमर तेरी हंसों -सी चाल है खुशबू बदन से आए जैसे बहार से काली घटा…
1 प्यार हमने किया छोड़िये छोड़िये चाक दामन सिया छोड़िये छोड़िये शोख़ पुरवईया दिल दुखाती रहीं साथ उनके जिया छोड़िये छोड़िये ये न समझो कि सागर से हम दूर थे…
1 तुम क्या आना-जाना भूले हम तो हंसना हंसाना भूले तुमने ही तो चमन खिलाया तुम ही फूल खिलाना भूले हम से भूल हुई क्या बोलो क्या तुमको लौटाना भूले…
1 वो मिले यूँ कि फिर जुदा ही न हो ऐसा माने कि फिर ख़फ़ा ही न हो मैं समझ जाऊँ सारे मजमूँ को खत में उसने जो कुछ लिखा…
आजा तेरे हुस्न का सदक़ा मैं उतार दूँ फूल सारे बाग़ के आज तुझपे वार दूँ तेरी सारी उलझनें हँस के मैं संवार दूँ तेरे सारे रंजो ग़म खुशियों से…
इम्तिहा-इम्तिहा मुख़्तसर सी जमीं, मुख़्तसर आसमाँ उसपे इतना घना,ये धुआँ, ये धुआँ. वो मोहब्बत का सारी उमर यूँ मेरी सिर्फ़ लेता रहा , इम्तिहा, इम्तिहा अपने दामन में अंगार बांधे…
1 शरारत है, शिकायत है, नज़ाक़त है, क़यामत है ज़ुबां ख़ामोश है लेकिन निगाहों में मुहब्बत है हवाओं में, फ़िज़ाओं में, बहारों में, नज़ारों में वही ख़ुशबू, वही जादू, वही…