विशिष्ट कवि : दुष्यंत कुमार
दुष्यंत कुमार की दो कविताएं गांधी के जन्म दिन पर मैं फिर जन्म लूंगा फिर मैं इसी तरह आऊंगा उचटती निगाहों की भीड़ में अभावों के बीच लोगों की…
दुष्यंत कुमार की दो कविताएं गांधी के जन्म दिन पर मैं फिर जन्म लूंगा फिर मैं इसी तरह आऊंगा उचटती निगाहों की भीड़ में अभावों के बीच लोगों की…
निहाल सिंह की पांच कविताएं भूल मैं भूल जाता हूंं कि नाश्ते में क्या खाया था मैं भूल जाता हूं की कमरे में कितनी खिड़कियां है कितने रौशन दान है…
राजेंद्र ओझा की चार कविताएं लाचार हर बार जब वह उड़ने को होता और सोचता कि चलो कुछ दाने चुग आए उसके सामने दाने फेंक दिए जाते। उसे यह अच्छा…
क्यों डूब गया सूरज – चन्द्रशेखर’ विकल’ क्यों डूब गया सूरज पसरा अगम अंधेरा शीतल सुवास देकर जाता रहा चितेरा जबतक रहा धरा पर जन मन का प्राण जीवन। हुलस…
डॉ. श्रीरंग शाही की स्मृति में एक तारा और टूटा – रघुनाथ प्रसाद ‘विकल’ एक तारा और टूटा फिर। अनमने आकाश का संदर्भ भूला मन। भावना में रूग्ण पंकिल सीप-से…
धर्मपाल महेंद्र जैन की दस कविताएं खंडित देह जीते हुए अपनी यौन विकृति के दंश मान-अपमान सबको समेटे ग्रंथों में आते हैं वे बुनते हुए ख़ुशियाँ भले ही छोड़नी…
अनीता रशिम की कविताएं चाह अबकी आना लाना संग पलाश, गुलमोहर थोड़ी मिट्टी गाँव की, नदी किनारे का चिकना पत्थर गीली रेत, थोड़ी हवा धूप भी और लाना…
ललन चतुर्वेदी की दस कविताएं देह का अध्यात्म वह सद्यस्नाता स्त्री जिसके कुंतल से टपक रहे हैं बूँद-बूँद जल एक झटके से झाड़कर बाल खड़ी हो गई है आईने के…
अनिता रश्मि की पांच कवितायें चाह अबकी आना लाना संग पलाश, गुलमोहर थोड़ी मिट्टी गाँव की, नदी किनारे का चिकना पत्थर गीली रेत, थोड़ी हवा धूप भी और लाना भर…
सफरनामा कभी कभी मैं जब अपनी प्यास के सफरनामे की पड़ताल करने बैठता हूँ तो मुझे महसूस होता है की इस सफरनामे में मैंने हरिद्वार के पवित्र गंगाजल से लेकर…