विशिष्ट कवयित्री : मंजूषा मन

1 सहारा तुमने कहा – “तुम लता बन जाओ मैं हूँ न सहारा देने को, मेरे सहारे तुम बढ़ना ऊपर छूना आसमान… खो गई में तुम्हारी घनाई में तुम्हारे घने…

विशिष्ट कवयित्री : कोमल सोमरवाल

1 फासला- (स्त्री एकालाप) तुम चलते रहे पौराणिक कथाओं का ताज पहने मैं कसती रही अपने ऐबों के चोगे का फीता तुम अप्रैल की गोधूलियों में लहर बनकर बरसाते रहे…

विशिष्ट कवि : राज किशोर राजन

ईश्वर की सर्वोत्तम रचना कितनी अजीब बात है जब उचारा आपने कि मनुष्य, ईश्वर की सर्वोत्तम रचना है तो मुखमंडल आपका दिपदिपाने लगा पर जब कहा मैंने कि ईश्वर, मनुष्य…

विशिष्ट कवयित्री : प्रतिभा चौहान

सिलवटें एक दशक पुरानी है चट्टान खामोशी की और खर्च किये जाने से बचा हुआ है धीरज आकाश के पर्दे पर टका हुआ है जगमग संसार तुमसे मांगना है सारे…

विशिष्ट कवि : सुशील कुमार

बारिश, पहाड़ और भूख रातभर बारिश हुई है पहाड़ पर चीड़-साल नहा गया पोर-पोर नेतरहाट में फुनगियों-पत्तों से टघर रहा पानी अनगिन धार बनकर रिस रहा घोसलों में झोपड़ों में…

विशिष्ट कवयित्री : रुचि भल्ला

माफ़ीनामा मैं क्षमाप्रार्थी हूँ दुनिया के सारे बच्चों के प्रति कि उन्हें मारा गया छोटी -छोटी बातों पर हाथ उठाया उनकी छोटी गल्तियों पर उन्हें चोट देते रहे जबकि बड़ी…

विशिष्ट कवि : शरद कोकास

धुएँ के खिलाफ अगली शताब्दि की हरकतों से पैदा होने वाली नाजायज़ घुटन में सपने बाहर निकल आयेंगे परम्परिक फ्रेम तोड़कर कुचली दातून के साथ उगली जाएँगी बातें मानव का…

विशिष्ट कवयित्री : मीरा श्रीवास्तव

स्त्रियाँ कहीं से आएँ स्त्रियाँ कहीं से आएँ कहीं भी जाएँ तनाव, खीझ, झुँझलाहट की परत चिकने , महीन फेस पाउडर की तरह फैली होती है उनके चेहरे पर अॉटो…