विशिष्ट कवयित्री :: लता सिन्हा ज्योतिर्मय
क़लम के सिपाही – लता सिन्हा ज्योतिर्मय बड़ी थी ललक, करुँ देश की सेवा निरंतर हो लग्न एक सैन्य पुत्री हो के भी…
क़लम के सिपाही – लता सिन्हा ज्योतिर्मय बड़ी थी ललक, करुँ देश की सेवा निरंतर हो लग्न एक सैन्य पुत्री हो के भी…
श्रवण कुमार की तीन कविताएँ सपने आज जबकि पॉश इलाके में रात में ही दिखता है दिन से बेहतर उजाला डोमा पोखर मोहल्ले में जैसे-तैसे रहती काकी की आँखों में…
रानी सुमिता की छह कविताएं : मन के भीतर मन स्त्री के मन के भीतर बसता है एक और मन जैसे शाँत नदी के भीतर बहती है एक अलहङ…
संबल (1) मेरे पास सेनाएँ नहीं संबल है जागीरें, धरोहरें, वसीयतनामे नहीं कुछ संकल्प और स्वप्न हैं खेत खलिहान बाग बगीचे मिल कारखाने उद्योग-तंत्र नहीं ऊर्जा से भरे सिर्फ अपने…
शाम शाम ढ़लते ही अपने घरों की तरफ लौट गए परिंदे आज फिर अपनी परछाईयाँ गिरा गए मेरी छत पर । बिटिया के लिए ज़िन्दगी के बीहड़ में जब कभी…
दुख आप मरे हुए लोग हैं या अधूरे आदमी क्योंकि नहीं जानते दुख । आपके पास ना होंगे- पर बहुत है दुख दुनिया में । हर कोंपल के पहले पेड़…
पृथ्वी-पत्र तुमने लिखी है पृथ्वी मेरे नाम ! हरियाली उड़ेल दी तुमने नदी-नद के छोर वशवर्ती मेरे पत्ते, वृक्ष सहोदर से बढ़े मेरे साथ ! मेरे स्पर्श की उष्णता…
मैं तुमसे मिलना चाहती हूं मैं तुमसे मिलना चाहती हूं सिर्फ़ एक बार मैं जानना चाहती हूं जवाब अपने बहुत सारे सवालों का मैं तुमसे मिलना चाहती हूँ बीते…
ज्योति रीता की छह कविताएं लड़कियों का मन कसैला हो गया है इन दिनों लड़कियों का मन कसैला हो गया है अब वह हँसती नहीं दुपट्टा भी लहराती नहीं अब…
सुरेन्द्र रघुवंशी की पांच कविताएं अन्नदाता मौसम की मार से बड़ी होती है सरकार की मार कि किसी भी मौसम के किसी भी सत्र में वे सदन में बिल लाकर…