विशिष्ट कवि: विनय

हँसी का सौंदर्य झरने की तरह कल-कल करती ध्वनि आसमान में चिड़ियों का कलरव फूलों पर मंडराते भौंरों का गुंजन या फिर अल्हड़ हवाओं की सनसनाहट सच कहूँ ऐसे ही…

विशिष्ट कवि : जनार्दन मिश्र

मै उसे कहां ढूंढूं उसने मुझे पोस्टकार्ड पर लिखा सिर्फ मेरे पता के सिवाय कुछ नहीं पोस्टकार्ड पर लगी मुहर भी काफी धुंधली थी जिसे माइक्रो ग्लास से भी नहीं…

विशिष्ट कवि : जयप्रकाश मिश्र

दोहे तुम्हें देख विस्मित रहे, हर पूनम का चाँद । चाहे जितना रोक लो, प्यार न माने बाँध।। प्यार तुम्हारा यों लगे,ज्यों फूलों की गंध। कोयल बैठी बाग में, पढ़े…

विशिष्ट कवि : ध्रुव गुप्त

तुम मुझे मिली तुम मुझे मिली मैं सरेराह ठिठक गया तुमने मुझे देखा मेरी आंखों में उग आया सतरंगा इंद्रधनुष तुम मुस्कुराई मेरे भीतर हरसिंगार झरे तुम मेरे पास आई…

विशिष्ट कवयित्री : आरती तिवारी

प्रेम 1 तुमने कहा चाहता हूँ बेइन्तहा तुम्हे तुम्हारी खातिर सो नहीं पाता रातों को तुम्हारे सिर्फ तुम्हारे लिए जागता और बदलता हूँ करवटें सारी रात सुबह से शाम तक…

विशिष्ट कवयित्री : मालिनी गौतम

मत करना प्रेम तुम मुझे मत करना प्रेम सबके सामने कि लोग जान जाएँगे राज़ एक ठूँठ वृक्ष के हरे होने का तुम करना प्रेम अपने आँगन में बैठी गोरैया…

विशिष्ट कवि : विमल चंद्राकर

हम_तुम को समर्पित तुम भाग्य बदलने आयी हो न जाने तुम कौन देश से पावन प्रकाश संग लायी हो महक उठा है जीवन मेरा सद्मित्रता की सौगात लायी हो। महक…

विशिष्ट कवियित्री : अनीता सिंह

स्पर्श के संस्मरण ये सब तुम्हारे थिर था प्रतिबिम्ब छुआ दी तुमने तर्जनी की पोर देर तक काँपता रहा तालाब ऊष्मा रख दी गले पर अटकी रह गई साँसें कुतर…