लघुकथाएं :: सुरेखा कादियान ‘सृजना’
सुरेखा कादियान ‘सृजना’ की दो लघुकथाएं सृजना “राज आँटी एक चाय ले के आना” वैष्णवी ने स्टाफ रूम में आते ही चाय के लिए बोला और थकी सी सर पकड़कर…
सुरेखा कादियान ‘सृजना’ की दो लघुकथाएं सृजना “राज आँटी एक चाय ले के आना” वैष्णवी ने स्टाफ रूम में आते ही चाय के लिए बोला और थकी सी सर पकड़कर…
ईश्वर के लिए उसे समझा-समझा, पक चुके थे, पर वह न मानता, कहता-बच्चे ईश्वर की देन हैं। नौंवीं संतान को जन्म देते वक्त जब उसकी बीवी चल बसी, तब अपनी…
उसकी व्यथा -डॉ. सतीश चन्द्र भगत अजीत ने अपने मित्र संजय से कहा-” बहुत मुश्किल है आज के जमाने में सत्य की राह पर चलना |”…
सुरेश सौरभ की दो लघुकथाएं सहारे घर की तंगहाली से परेशान हो, उसे दूर करने हेतु, वह भगवान के सहारे होकर , एक दूर के पहुंचे, भगवान के पास पहुंची।…
प्रगतिशीलता का दंश – दिनेश ‘तपन’ वे उच्च शिक्षा प्राप्त एक सम्पन्न व्यक्ति थे,मगर उन्हें गाँव का वातावरण प्रियकर नहीं लगा,लिहाजा पचास-साठ बीघे…
हमारा राष्ट्रीय ध्वज – डॉ सुमन मेहरोत्रा कल स्कूल में झंडा फहराया जायेगा. सभी बच्चों को एक झंडा और फूल लेकर जाना था.…
एक तीर दो निशान ज्वाला सांध्यपुष्प शाम का वक़्त था। प्रभारी सब-इंस्पेक्टर आर के यादव अपने साथी सब-इंस्पेक्टर सुदीप पांडेय के साथ थाने के पिछवाड़े के एक प्राइवेट कमरे में…
अश्विनी कुमार आलोक की दो लघुकथाएं मूर्त्तियाँ मैं स्वयं नहीं समझ पा रहा था कि मैं किस मिट्टी का बना हुआ हूँ।मैंने इससे पहले भी अपने आप को न…
जरा सोचिए साधो आज फिर पिट कर आया। बालो ने उसकी बुरी तरह पिटाई कर दी थी। एक-एक हड्डी तक चटका दी थी। नस-नस को तोड़ कर रख दिया था।…
बड़ा पाप – चांदनी समर संध्या के समय जब समुद्र की लहरें किनारे से टकरा कर दम तोड़ रही थी तो गुब्बारेवाला भी तेज़ी से गुब्बारे फुला कर अपनी सांसें…