लघुकथा :: जयप्रकाश मिश्र
मरछिया जयप्रकाश मिश्र अनाथ मरछिया कुत्ते के जूठे पत्तल चाट-चाटकर युवती हो गयी थी । आदर्श की रेशमी चादर ओढ़कर सिद्धान्त बघारने वाले उसकी प्रतीक्षा में पलक पाबड़े बिछाये बैठे…
मरछिया जयप्रकाश मिश्र अनाथ मरछिया कुत्ते के जूठे पत्तल चाट-चाटकर युवती हो गयी थी । आदर्श की रेशमी चादर ओढ़कर सिद्धान्त बघारने वाले उसकी प्रतीक्षा में पलक पाबड़े बिछाये बैठे…
अंकुश – संतोष दीक्षित साहेब सरकारी संत थे। एक सरकारी मठ के प्रधान थे।उन्हें खाने के बाद फल खाने की आदत थी। एक दोपहर पेट भर…
खबरी अम्मा – नज़्म सुभाष अहले सुबह उठकर सारी नित्यक्रिया निपटाकर अंततः अम्मा छः बजे तक एकदम फ्री हो जाती फिर शुरू होती उनकी घरवादारी….…
मोद का तिलस्म धरती गांव की बहुत खुश है। और हर्षित हैं, सारे खेत – खलिहान। समझ नहीं आया तो बूढ़े बरगद ने धरती से पूछा, “आखिर किस सौभाग्य पर…
तपस्या संगीता चौरसिया, खगड़िया रविन्द्र पांच भाई बहनों में तीसरे नंबर पर था। उससे छोटी दो बहनें थीं जिसमें से एक की शादी उससे पहले हो गई थी। उपर के…
अमिताभ कुमार अकेला की दो लघुकथाएं रावण कौन आज विजयदशमी है। लाखों की तादाद में श्रद्धालुओं की भीड़ रावण का पुतला दहन देखने हेतु गाँधी मैदान में जमा हुयी। मैदान…
विरासत घनानंद बाबू जीवन की नैतिकता और मर्यादाओं का पालन करते हुए आदर्श जीवन जीते रहे और उन्होंने अपने दोनों बेटों रूपक और दीपक को उच्च कोटि की शिक्षा दिलवाया।…
लघुकथा …………………………. जन्म दिन – डॉ. महिमा श्रीवास्तव गत वर्ष मैं उदयपुर, मेरे पुत्र से…
*दरोगा* “साहब हमार रपट लिख लो, हम गरीब बुढि़या एगो गाय पाल के आपन गुजर करती हैं। अऊर उ महेसरा हमार जगह गाय सब कब्जा कर लेत है।” “कहाँ से…